हिमाचल के लिए नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति मंजूरः मुख्यमंत्री

Jai Ram Thakur

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज बताया कि राज्य सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को केंद्र में रखते हुए व्यक्तियों और संगठनों की ओर से अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने वाले पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर व्यापक बदलाव लाने के लिए नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति तैयार कर अनुमोदित की है।

शिमला। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज बताया कि राज्य सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को केंद्र में रखते हुए व्यक्तियों और संगठनों की ओर से अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने वाले पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर व्यापक बदलाव लाने के लिए नई विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति तैयार कर अनुमोदित की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई नीति) -2020 से प्रेरणा लेते हुए हिमाचल प्रदेश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद् (हिमकोस्टे) ने राज्य के लिए यह नीति राष्ट्र की तर्ज पर तैयार की है।

उन्होंने कहा कि राज्य के विभिन्न शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के लगभग 30 हितधारक विभागों, कार्यकारी समूह के सदस्यों, कुलपतियों और वैज्ञानिकों के कोर ग्रुप और प्रमुखों व प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न दौर के विचार-विमर्श के बाद प्रारूप दस्तावेज को अंतिम रूप दिया गया है। इसके बाद मसौदा दस्तावेज को राज्य मंत्रिमंडल ने अनुमोदित किया।

जय राम ठाकुर ने कहा कि इस नीति को बनाते समय पर्वतीय क्षेत्रों और समाज की बेहतरी के लिए ऊर्जा, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और आपदाएं, भोजन और पोषण, पानी और स्वच्छता, आवास, कम लागत पर स्वास्थ्य देखभाल, कौशल निर्माण और बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं के समग्र सतत् विकास को ध्यान में रखा गया है।

उन्होंने कहा कि नई नीति का उद्देश्य अनुसंधान और विकास संस्थानों और नवाचार केंद्रों को मजबूत करना, प्राथमिकता वाले अनुसंधान एवं विकास क्षेत्रों की पहचान करना और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए मंच प्रदान करना, नवाचार के लिए उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना व विकसित करना और आत्मनिर्भरता के राष्ट्रीय उद्देश्यों को पूरा करना है। तकनीकी क्षमता और सामाजिक आर्थिक विकास के लिए स्वदेशी संसाधनों का अधिकतम उपयोग भी इसमें शामिल है।

पर्यावरण विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव कमलेश कुमार पंत ने बताया कि राज्य की इस नीति को अंतिम रूप देने के लिए राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों से प्लांट जेनेटिक्स और आईपीआर, कृषि, बागवानी, इंजीनियरिंग, व्यावहारिक जैव प्रौद्योगिकी, वानिकी, जैव विज्ञान और जैव विविधता, रिमोट सैंसिंग, जल, वन्यजीव, गणित, मौसम विज्ञान, जलवायु परिवर्तन और भौतिकी आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों से प्रसिद्ध वैज्ञानिकों का एक कोर समूह गठित किया गया था।

उन्होंने कहा कि रणनीति के संस्थागतकरण के लिए 17 संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के साथ परिभाषित जुड़ाव और तालमेल के माध्यम से संबंधित विभागों के समन्वय के साथ विभिन्न कार्य बिंदुओं को अपनाया गया है।

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