लड़की के यौन उत्पीड़न के लिए नेपाली व्यक्ति को पांच वर्ष की सजा
यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम से संबंधित मामलों की सुनवायी कर रही विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.वी. खोंगल ने 45 वर्षीय राजू परम थापा को शुक्रवार को दोषी ठहराया और उस पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
पालघर। महाराष्ट्र के पालघर जिले के वसई की एक अदालत ने एक नेपाली व्यक्ति को 2020 में 11 वर्ष की एक लड़की के यौन उत्पीड़न के लिए पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनायी है। यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम से संबंधित मामलों की सुनवायी कर रही विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.वी. खोंगल ने 45 वर्षीय राजू परम थापा को शुक्रवार को दोषी ठहराया और उस पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
विशेष लोक अभियोजक जयप्रकाश पाटिल ने अदालत को बताया कि पेशे से रसोइया दोषी वसई में उसी इमारत में रहता था जहां पीड़िता रहती थी। उन्होंने बताया कि 27 अक्टूबर, 2020 को थापा द्वारा लड़की के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ की गई थी और घटना के समय लड़की 11 साल की थी। उन्होंने पीड़िता को इमारत के एक कमरे में खींचा और उसका यौन उत्पीड़न किया। अदालत ने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप साबित कर दिये हैं।
अदालत ने कहा, ‘‘राज्य की जिम्मेदारी है कि वह गलत काम करने वाले/दोषी को सजा दे और यह भी देखे कि राज्य द्वारा पीड़ित को न केवल क्षति और चोट के लिए मुआवजा दिया जाए बल्कि उसका पुनर्वास भी किया जाए। दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 357(ए) के प्रावधान का उद्देश्य अदालत को राज्य को पीड़ित को मुआवजा देने का निर्देश देने में सक्षम बनाना है।
यह पीड़ित की रक्षा करने और उसके पुनर्वास के तरीकों में से एक है।’’ उसने कहा, ‘‘आरोपी एक रसोइया था। उसकी कमाई का जरिया बहुत कम था। पीड़िता की आर्थिक पृष्ठभूमि कमजोर थी। पीड़िता को मौद्रिक मुआवजे से कम से कम कुछ सांत्वना मिलेगी। पीड़िता और उसके परिवार को बहुत कष्ट झेलना पड़ा है। इसलिए, इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, यह अदालत पीड़िता को मुआवजा देने का विचार रखती है।
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