शह और मात के खेल में उतरे पवार, क्या संजीवनी बूटी देकर संकट से उद्धव को बचा पाएंगे ?
एकनाथ शिंदे गुट ने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को पत्र लिखा है, जिसमें एकनाथ शिंदे को अपना नेता माना है। ऐसे में डिप्टी स्पीकर जांच पड़ताल के बाद इस पर अपना फैसला करेंगे। सियासी संकट के बीच लगातार अहम बैठकें हो रही हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच फोन पर बातचीत हुई।
महाराष्ट्र में सियासी उठापटक जारी है, अभी तक शिवसेना की लड़ाई समाप्त नहीं हुई। बागी विधायकों और उद्धव ठाकरे सरकार आमने सामने है। ऐसे में शह और मात के खेल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार उतर आए हैं। शरद पवार का मोर्चा संभालना एकनाथ शिंदे को भारी पड़ सकता है। हालांकि कुछ कहा नहीं जा सकता है क्योंकि लड़ाई अभी भी जारी है और गुवाहाटी बनाम मुंबई का खेल अभी समाप्त नहीं हुआ है।
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एकनाथ शिंदे गुट ने डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को पत्र लिखा है, जिसमें एकनाथ शिंदे को अपना नेता माना है। ऐसे में डिप्टी स्पीकर जांच पड़ताल के बाद इस पर अपना फैसला करेंगे। आपको बता दें कि डिप्टी स्पीकर एनसीपी से आते हैं और उन्होंने एकनाथ शिंदे की जगह अजय चौधरी को विधानसभा में पार्टी नेता के रूप में नियुक्त किए गए शिवसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
उद्धव और पवार के बीच हुई बातचीत
सियासी संकट के बीच लगातार अहम बैठकें हो रही हैं। इसी बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच फोन पर बातचीत हुई और आगे की रणनीति तैयार की गई। शह और मात के खेल में शरद पवार का उतरना एकनाथ शिंदे के लिए भी मुश्किलें खड़ा कर सकता है और यह वो समझते भी होंगे। क्योंकि साल 2019 में जब शरद पवार के भतीज अजित पवार ने बगावत करके देवेंद्र फडणवीस की सरकार बनाने में मदद की थी, तब महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने शरद पवार के प्रति भरोसा जताया था। जिसके बाद शरद पवार ने भाजपा के सारे खेल को बिगाड़ दिया और देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया के समक्ष आकर अपने इस्तीफे के ऐलान कर दिया और फिर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी सरकार का गठन हुआ था।
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शरद पवार और उद्धव ठाकरे की बातचीत के कुछ घंटे बाद डिप्टी स्पीकर ने शिवसेना के उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, जिसमें पार्टी ने एकनाथ शिंदे समेत 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया। दरअसल, शरद पवार ने बीते दिनों स्पष्ट किया था कि एमवीए के भाग्य का फैसला विधानसभा में होगा और शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन विश्वास मत में बहुमत साबित करेगा।
पवार के लिए अभद्र भाषा स्वीकार नहीं
इसी बीच नेताओं के बीच तू-तू, मैं-मैं भी जारी है। ऐसे में शिवसेना सांसद और नेता संजय राउत ने शरद पवार के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वालों को चेताया है। संजय राउत ने ट्वीट में लिखा कि भाजपा के एक केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि अगर महाविकास अघाड़ी सरकार को बचाने के प्रयास किया गया तो शरद पवार को घर नहीं जाने दिया जाएगा। महाविकास अघाड़ी सरकार रहे या न रहे लेकिन शरद पवार के लिए ऐसी भाषा का उपयोग स्वीकार्य नहीं है।
दरअसल, केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कहा था कि शरद पवार (बागी) विधायकों को धमका रहे हैं कि उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा आना चाहिए। वे अवश्य वापस आएंगे और अपनी इच्छा के अनुसार मतदान करेंगे। अगर उन्हें किसी तरह का नुकसान हुआ तो घर जाना मुश्किल होगा। शरद पवार का नाम लिए बिना उन्होंने कहा था कि कुछ ऐसे लोग हैं, जिनका समय-समय पर बगावत करने का लंबा इतिहास रहा है।
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हमसे कभी नहीं मिले उद्धव ठाकरे
शिवसेना के बागी विधायक संजय शिरसाट का बयान सामने आया है। जिसमें उन्होंने उद्धव ठाकरे के खिलाफ जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पहले कई बार विधायकों ने उद्धव जी से कहा था कि कांग्रेस हो या एनसीपी, दोनों ही शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। कई बार विधायकों ने उद्धव जी से मिलने के लिए समय मांगा लेकिन वे उनसे कभी नहीं मिले।
उन्होंने कहा कि यदि आप शिवसेना के किसी विधायक के निर्वाचन क्षेत्र को देखें तो तहसीलदार से लेकर राजस्व अधिकारी तक कोई भी अधिकारी विधायक के परामर्श से नियुक्त नहीं किया जाता है। यह बात हमने उद्धव जी को कई बार बताई लेकिन उन्होंने कभी इसका जवाब नहीं दिया।
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