संविधान के प्रति सम्मान का भाव नहीं रखती तृणमूल, मां काली का किया अपमान, ममता के गढ़ में स्मृति का तीखा प्रहार
स्मृति ईरानी ने हावड़ा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिन नेताओं ने वर्षों से संविधान की या तो अवहेलना की है या उन्हें त्याग दिया है, उनसे राष्ट्रीय प्रतीक का विरोध करने की अपेक्षा की जाती है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक की टीएमसी की आलोचना पर पलटवार करते हुए कहा कि यह एक ऐसी पार्टी से अप्रत्याशित नहीं है जो देवी काली का अपमान करती है और संविधान के लिए बहुत कम सम्मान रखती है। नौकरशाह बने तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने दावा किया कि मूल राष्ट्रीय प्रतीक में अशोक के शेर 'सुंदर' थे, जबकि नए संसद भवन के शेर आक्रमक है। ईरानी ने हावड़ा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जिन नेताओं ने वर्षों से संविधान की या तो अवहेलना की है या उन्हें त्याग दिया है, उनसे राष्ट्रीय प्रतीक का विरोध करने की अपेक्षा की जाती है। आज वे राष्ट्रीय प्रतीक से डरते हैं, जो हमारे देश का गौरव है। यह पार्टी और उसके नेताओं की ओर से अप्रत्याशित नहीं है, जो देवी काली का भी अपमान करते हैं।
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जवाहर सरकार ने राष्ट्रीय प्रतीक के दो अलग-अलग चित्रों को साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘यह हमारे राष्ट्रीय प्रतीक का, अशोक की लाट में चित्रित शानदार शेरों का अपमान है। बाईं ओर मूल चित्र है। मोहक और राजसी शान वाले शेरों का। दाईं तरफ मोदी वाले राष्ट्रीय प्रतीक का चित्र है जिसे नये संसद भवन की छत पर लगाया गया है। इसमें गुर्राते हुए, अनावश्यक रूप से उग्र और बेडौल शेरों का चित्रण है। शर्मनाक! इसे तत्काल बदलिए।’’ उनकी पार्टी की सहयोगी और लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने भी राष्ट्रीय प्रतीक की दो तस्वीरें ट्वीट करते हुए पिछली संरचना की तुलना नए संसद भवन के ऊपर स्थापित प्रतीक से की।
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स्मृति ईरानी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए तृणमूल ने राष्ट्रीय प्रतीक के बारे में अपने सांसदों की बातों का समर्थन किया। वरिष्ठ मंत्री शशि पांजा ने कहा, 'यह एक आपदा है। चार सिंह, जिन्हें शांत और राजसी होने चाहिए, उग्र और बेडौल दिखाई देते हैं। ऐसा तब होता है जब विपक्षी नेताओं को विश्वास में नहीं लिया जाता और सलाह नहीं ली जाती है। यह सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है।'
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