निर्भया की बरसी पर मां आशा देवी बोलीं, दुष्कर्म पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए जारी रहेगा संघर्ष

Asha Devi

निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि मेरी बेटी के दोषियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के बाद न्याय के लिए मेरा संघर्ष समाप्त नहीं हुआ है, और यह दुष्कर्म पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए जारी रहेगा।

नयी दिल्ली। देश को झकझोर के रख देने वाले निर्भयाकांड के दोषियों की सजा सुनिश्चित कराने वाले निर्भया के माता-पिता को शायद ही कभी कोई भुला सकता है, वहीं अब निर्भया की मां ने देश में यौन उत्पीड़न पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने का बीड़ा उठाया है। 

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निर्भया की मां आशा देवी ने कहा,‘‘ मेरी बेटी के दोषियों को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के बाद न्याय के लिए मेरा संघर्ष समाप्त नहीं हुआ है, और यह दुष्कर्म पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए जारी रहेगा। दक्षिण दिल्ली में आठ वर्ष पूर्व 16-17 दिसंबर की दरम्यानी रात फिजियोथेरेपी की 23 वर्षीय एक छात्रा के साथ एक चलती बस में छह लोगों ने दुष्कर्म किया और यातनाएं दीं और फिर उसे सड़क किनारे फेंक कर फरार हो गए थे। पूरे देश ने उस बहादुर छात्रा को निर्भया नाम दिया। बुरी तरह से जख्मी निर्भया की इलाज के दौरान सिंगापुर में मौत हो गई थी। इस मामले के छह आरोपियों में से चार दोषियों को इस वर्ष 20 मार्च को फांसी की सजा दी गई। एक आरोपी ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी और मामले में आरोपी एक नाबालिग को सुधार गृह में तीन वर्ष बिताने के बाद रिहा कर दिया गया था।

घटना को याद करते हुए निर्भया की मां आशा देवी ने कहा,‘‘मेरी बेटी को भले ही न्याय मिल गया हो, लेकिन इस संघर्ष ने हमें हर दिन मारा है। हर बार जब सुनवाई स्थगित होती थी तो मेरा कोई हिस्सा दरक जाता था, लेकिन मैंने साहस जुटाया।’’ उन्होंने कहा,‘‘न्याय मिलने में आठ वर्ष लगे, जरा उन पीड़तों के बारे में सोचिए जिनके मामले ही सामने नहीं आते या जहां पर्याप्त साक्ष्य नहीं होते हैं। मेरा संघर्ष उनके लिए जारी रहेगा। ’’ उन्होंने कहा कि पूरे देश ने उनकी बेटी के मामले को देखा और उन हथकंडों को भी देखा, जो बचाव पक्ष के वकीलों ने अपनाए। साथ ही ‘‘मानवाधिकारों के नाम पर’’ जो छूट आरोपियों को लंबे वक्त तक मिली, उसे भी देखा। 

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उन्होंने कहा,‘‘ दुष्कर्म पीड़ितों को तेजी से न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने का प्रण करती हूं।’’ निर्भया के पिता ने भी लड़ाई जारी रखने की बात कही। उन्होंने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा,‘‘ आपने शायद मुझे कभी नहीं सुना होगा। आज मुझे लगा कि आपको मेरी बात सुनने की जरूरत है। मेरा नाम बद्रीनाथ सिंह है, लेकिन 16 दिसंबर 2012 के बाद से मैं ‘निर्भया के पिता’ के रूप में जाना जाता हूं और अब पूरी जिंदगी इसी तरह जाना जाऊंगा। ’’ उन्होंने कहा,‘‘ मुझे लगा था इस मामले से देश में बदलाव आएगा लेकिन जब भी मैं समाचार देखता हूं, तो उसमे हर दिन किसी बेटी के साथ दुष्कर्म का नया मामला होता है। कुछ नहीं बदला है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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