मोदी 56 इंच के सीने की बात करते हैं, लेकिन गरीबों के आंसू पोंछने का दिल नहीं रखते: सिद्धरमैया
उन्हें बताने दीजिए कौन से आतंकवादी शामिल हैं, किसानों के बारे में बोलते हुए किसी को भी गैरजिम्मेदाराना बात नहीं कहनी चाहिए। उन्हें बताने दीजिए कि कौन से आतंकवादी हैं या फिर खालिस्तान आंदोलन से जुड़े लोग इससे संबंधित हैं।
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उन्होंने कहा, “किसानों की सिर्फ यह मांग है- कुछ कानून किसान विरोधी हैं, वे कृषि क्षेत्र के खिलाफ काले कानून हैं – और इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।” यहां संवाददाताओं से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान 60 दिनों से भी ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और उनमें से कुछ ने अपनी जान भी गंवाई है। सिद्धरमैया ने कहा, “नरेंद्र मोदी 56 इंच के सीने की बात करते हैं, सीना कितना बड़ा है यह महत्वपूर्ण नहीं है, उसमें एक दिल होना चाहिए जो गरीबों के आंसू पोंछ सके। मोदी के पास वह नहीं है। क्या उन्होंने एक बार भी अब तक किसानों को बुलाया और उनसे बात की?” उन्होंने दावा किया कि मोदी ने इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया और कानून निरस्त नहीं करना चाहते।
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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अंबानी और अडाणी जैसे बड़े कॉरपोरेट घरानों की “गुलाम” बन गई है और जैसा उन्होंने फरमान सुनाया वैसा ही कानून बनाया गया। प्रदेश के कृषि मंत्री बी सी पाटिल के किसानों के प्रदर्शन को “आतंकवादियों द्वारा लड़ाई” बताए जाने संबंधी कथित बयान को सिद्धरमैया ने “गैरजिम्मेदाराना” करार दिया। उन्होंने कहा, “क्या सरकार के पास खुफिया तंत्र नहीं है…उन्हें बताने दीजिए कौन से आतंकवादी शामिल हैं, किसानों के बारे में बोलते हुए किसी को भी गैरजिम्मेदाराना बात नहीं कहनी चाहिए। उन्हें बताने दीजिए कि कौन से आतंकवादी हैं या फिर खालिस्तान आंदोलन से जुड़े लोग इससे संबंधित हैं।
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