बीजद के 22 विधायक लाभ के पद के प्रावधानों के दायरे में नहीं : निर्वाचन आयोग
सोमवार को सार्वजनिक किए गए निर्वाचन आयोग के विचार में कहा गया, “उपरोक्त के मद्देनजर, यह आयोग मानता है कि ओडिशा विधानसभा के 22 प्रतिवादी विधायकों में से किसी को भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 191(1)(ए) के प्रावधानों के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।”
नयी दिल्ली| निर्वाचन आयोग ने कहा है कि बीजू जनता दल (बीजद) के 22 विधायक जिन्हें कुछ वर्ष पहले विभिन्न जिला योजना समितियों और विशेष विकास परिषदों का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, वे लाभ का पद रखने के लिए अयोग्य करार दिए जाने के दायरे में नहीं आते हैं।
पिछले महीने ओडिशा के राज्यपाल को दी गई एक राय में, चुनाव आयोग ने कहा कि 22 विधायकों में से, 20 द्वारा संभाले गए पदों को वैधानिक कानून के तहत अयोग्यता से छूट दी गई थी।
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ओडिशा विधानसभा का सदस्य बनने से पहले दो विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। सोमवार को सार्वजनिक किए गए निर्वाचन आयोग के विचार में कहा गया, “उपरोक्त के मद्देनजर, यह आयोग मानता है कि ओडिशा विधानसभा के 22 प्रतिवादी विधायकों में से किसी को भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 191(1)(ए) के प्रावधानों के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है।”
निर्वाचन आयोग की 13 अक्टूबर की राय के आधार पर, ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल ने 22 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया था कि संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों और चुनाव आयोग की राय को देखते हुए, मैं आदेश देता हूं कि मेरे सामने भारत के संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत उपरोक्त के रूप में दायर आवेदन भारत के संविधान के अनुच्छेद 191 के तहत निर्वाचित प्रतिनिधियों की अयोग्यता का आधार नहीं हो सकते और इसलिए विचार योग्य नहीं हैं। समरेंद्र बेउरा नाम के एक व्यक्ति ने विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध किया था और कई याचिकाएं दायर की थी।
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