कइयों ने सोचा मैं रिटायर होऊंगा, लेकिन लोगों ने नहीं होने दिया: शरद पवार
पवार के अपना भाषण शुरू करने से पहले ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पुष्प गुच्छ देकर उनका स्वागत किया। इस पर पवार ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘इससे पहले कि मैं अपना भाषण शुरू करता, उन्होंने (ठाकरे और अजित पवार) मुझे पुष्प गुच्छ थमा दिया...ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने मुझे रिटायर करने का निर्णय कर लिया है।
पुणे। महाराष्ट्र की शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन सरकार के मुख्य शिल्पी माने जाने वाले राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि यद्यपि अनेक लोगों ने सोचा कि वह सक्रिय राजनीति से सेवानिवृत्त हो जाएंगे, लेकिन राज्य के लोगों, खासकर युवाओं ने ऐसा नहीं होने दिया। वह अपने गृह क्षेत्र बारामती में कृषि विज्ञान केंद्र में कृषि प्रदर्शनी के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे। इस दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी मौजूद थे।
आपला समाज खूप मोठा आहे. त्यात अनेक घटक अंतर्भूत आहेत. यातील दिव्यांग हा एक घटक, जो शारीरिकदृष्ट्या कमकुवत आहे, त्याच्याकडे समाजाचे दुर्लक्ष होतेय. त्यामुळे सरकारने अशा व्यक्तींसाठी उपक्रम राबवून त्यांना समाजात सन्मानाने जगता येईल, याकडे लक्ष देण्याची गरज आहे. pic.twitter.com/g0tbJyyTPX
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) January 16, 2020
पवार के अपना भाषण शुरू करने से पहले ठाकरे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने पुष्प गुच्छ देकर उनका स्वागत किया। इस पर पवार ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, ‘‘इससे पहले कि मैं अपना भाषण शुरू करता, उन्होंने (ठाकरे और अजित पवार) मुझे पुष्प गुच्छ थमा दिया...ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने मुझे रिटायर करने का निर्णय कर लिया है। मुझे इस पर कोई आपत्ति नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अनेक लोग सोचते थे कि मैं (सक्रिय राजनीति से) रिटायर हो जाऊंगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। असल में, महाराष्ट्र के लोगों और युवाओं ने ऐसा नहीं होने दिया।’’
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पवार ने अपने भाषण में यह भी कहा कि पूरी दुनिया में कृषि के तरीके बदल रहे हैं और नवोन्मेषी प्रयोगों से उत्पादन बढ़ा है। पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘भारत जैसे अधिक आबादी वाले देश में आम लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए खेती और कृषि अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसीलिए, परिवर्तन लाने, सुधार करने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। हमें यह सुनिश्चित करने की भी जरूरत है कि ये चीजें किसानों के द्वार तक पहुंचें।’’
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