क्या भाजपा के साथ स्वभाविक गठबंधन करने को तैयार होंगे उद्धव ठाकरे ? सांसदों के दबाव पर दौपद्री मुर्मू को दिया समर्थन
शिवसेना सांसद द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का दबाव बनाने के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से एक बार फिर से दोस्ताना रिश्ता निभाने के लिए भी उद्धव ठाकरे पर दबाव बना रहे हैं। सांसदों का मानना है कि अगर भाजपा के साथ गठबंधन हो गया तो पार्टी टूटने से बच जाएगी।
मुंबई। महाराष्ट्र में सियासत का नया अध्याय लिखा जा चुका है। इसके बावजूद शिवसेना प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। विधायकों और पार्षदों के बाद सांसदों ने उद्धव ठाकरे पर राष्ट्रपति चुनाव को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। शिवसेना सांसदों का मानना है कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया जाना चाहिए। बीते दिनों उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में पार्टी सांसदों की बैठक बुलाई थी। इस बैठक में पार्टी के 22 सांसदों में से महज 15 ही पहुंचे थे और इन सांसदों में से ज्यादातर ने उद्धव ठाकरे पर द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का दबाव बनाया।
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क्या पार्टी टूटने से बचा पाएंगे ठाकरे ?
शिवसेना सांसद द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का दबाव बनाने के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से एक बार फिर से दोस्ताना रिश्ता निभाने के लिए भी उद्धव ठाकरे पर दबाव बना रहे हैं। सांसदों का मानना है कि अगर भाजपा के साथ गठबंधन हो गया तो पार्टी टूटने से बच जाएगी और सरकार में शिवसैनिकों को हिस्सेदारी भी मिल जाएगी।
मुर्मू का समर्थन करेगी शिवसेना
शिवसेना सांसद एवं नेता संजय राउत ने पहले विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के समर्थन की बात कही थी लेकिन सोमवार को उद्धव ठाकरे के साथ सांसदों की बैठक के बाद समीकरण बदलने लगे और शिवसेना ने द्रौपदी मुर्मू के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। संजय राउत ने कहा कि हमने अपनी बैठक में द्रौपदी मुर्मू (एनडीए की राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार) पर चर्चा की... द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का मतलब भाजपा का समर्थन करना नहीं है। शिवसेना की भूमिका एक-दो दिन में साफ हो जाएगी।
धीरे-धीरे पार्टी पर हो रहा शिंदे का कब्जा ?
एकनाथ शिंदे ने बगाबत का नेतृत्व करके प्रदेश से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार गिरा दी और फिर भाजपा के साथ मिलकर नई सरकार का गठन किया। इस सरकार की जिम्मेदारी एकनाथ शिंदे खुद संभाल रहे हैं और देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। ऐसे में एकनाथ शिंदे ने धीरे-धीरे शिवसेना पर भी कब्जा जमाना शुरू कर दिया। उन्होंने विधायकों, पार्षदों के बाद सांसदों को भी अपने खेमे में शामिल कर लिया है। धीरे-धीरे उन्होंने शिवसेना के चुने गए जनप्रतिनिधियों को अपने कैंप में लाने में सफलता हासिल की है। जिसके बाद उद्धव ठाकरे को सांसदों के कहने पर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना पड़ा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवसेना सांसद हेमंत गोडसे ने कहा कि अगर केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करें तो विकास कार्य में गति आती है। ऐसे में सांसदों ने पार्टी प्रमुख से एक स्वभाविक गठबंधन बनाने की मांग की। आपको याद हो तो एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ गठबंधन को स्वभाविक गठबंधन ही बताया था और अब उन्हें सांसदों का भी साथ मिल रहा है, जो उद्धव ठाकरे पर भाजपा के साथ स्वभाविक गठबंधन करने का दबाव बना रहे हैं।
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गौरतलब है कि साल 2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना और भाजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था। हालांकि चुनाव परिणाम सामने आने के बाद शिवसेना ने करीब 25 साल पुराना गठबंधन भाजपा के साथ समाप्त कर दिया था। जिसके बाद भाजपा ने शिवसेना पर जमकर हमला किया था। हालांकि शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार का गठन किया और मुख्यमंत्री का पत्र शिवसेना प्रमुख को सौंप दिया गया था।
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