मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर सहित 12 जिलों में बेंचेगी शराब, शराब ठेकेदारों ने सरेंडर की शराब दुकानें
भोपाल के साथ ही ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, देवास, छिंदवाड़ा, कटनी और रीवा के ठेकेदार पहले ही कोर्ट के आदेश के अनुसार निर्णय लेने की बात कह चुके थे। ऐसे में शनिवार को प्रमुख शहरों के सभी ठेकेदारों ने आवंटित शराब दुकानें सरकार को सौंप दीं।
भोपाल। मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर सहित 12 जिलों में अब सरकार शराब बेंचेगी। हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश आने के बाद शराब दुकानों के खोले जाने को लेकर स्थिति साफ हो गई है। प्रदेश में 67 फीसदी शराब ठेकेदारों ने दुकानें सरेंडर कर दी हैं। इसके बाद अब 9 जून से सरकार इन दुकानों का संचालन शुरू कर देगी। भोपाल के साथ ही ग्वालियर, जबलपुर, इंदौर, मंदसौर, नीमच, रतलाम, उज्जैन, देवास, छिंदवाड़ा, कटनी और रीवा के ठेकेदार पहले ही कोर्ट के आदेश के अनुसार निर्णय लेने की बात कह चुके थे। ऐसे में शनिवार को प्रमुख शहरों के सभी ठेकेदारों ने आवंटित शराब दुकानें सरकार को सौंप दीं। उन्होंने आबकारी विभाग को शपथ पत्रों के साथ इसकी जानकारी भी दे दी है। हाईकोर्ट ने ठेकेदारों को स्थिति स्पष्ट करने के लिए तीन दिन का मौका दिया था।
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इसके साथ ही प्रदेश के 12 जिलों में सरकार अब शराब बेंचेगी। एक अनुमान के मुताबिक, राज्य सरकार को मई माह में 33 फीसदी दुकानों से तकरीबन 150 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी। राज्य में देशी शराब की 2544 और विदेशी शराब की 1061 दुकानें हैं। वही इतनी बढ़ी संख्या में सरकार पहली बार दुकानों का संचालन करेगी।
अबकारी विभाग में सहायक आयुक्त, भोपाल संजीव दुबे ने बताया कि राजधानी भोपाल में सभी ठेकेदारों ने अपनी दुकानें सरेंडर कर दी है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद शराब दुकानों के संचालकों को तीन दिन में अपनी स्थिति साफ करना थी, ऐसे में राजधानी में सभी दुकानों का अधिकार शासन के पास आ गया है। अब 8 जून तक विभाग द्वारा इसे फाइल कर दिया जाएगा। उसके बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में 9 जून से शासन द्वारा नए टेंडर होने तक दुकानों का संचालन किया जाएगा।
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