मध्य प्रदेश भाजपा संगठन ने जारी की अपने २४ जिला अध्यक्षों की सूची, नए और युवा चेहरों को दिया गया प्रतिनिधित्व

B.D.Sharma
दिनेश शुक्ल । May 9 2020 9:59PM

जिसमें राजधानी भोपाल का जिला अध्यक्ष युवा नेता सुमित पचौरी को तो इंदौर की कमान गौरव रणदीवे को सौंपी गई है। सागर जिले से गौरव सिरोठिया तथा ग्वालियर से कमल माखीजानी को कमान सौंपी गई है।

भोपाल। मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बी.डी.शर्मा ने शनिवार शाम को 24 जिला अध्यक्षों की घोषणा कर दी।प्रदेश अध्यक्ष  बी.डी.शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत ने परामर्श के बाद बीजेपी जिला अध्यक्षों को चयन किया है। बीजेपी जिला अध्यक्षों में युवाओ का प्रतिनिधित्व दिया गया है। प्रदेश कार्यालय मंत्री सत्येन्द्र भूषण सिंह ने प्रदेश कार्यालय से यह सूची जारी की। जिसमें राजधानी भोपाल का जिला अध्यक्ष युवा नेता सुमित पचौरी को तो इंदौर की कमान गौरव रणदीवे को सौंपी गई है। सागर जिले से गौरव सिरोठिया तथा ग्वालियर से कमल माखीजानी को कमान सौंपी गई है। 

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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर संगठन स्तर पर लगातार मांग उठ रही थी। जबकि प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से पहले कई जिलों के अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है। बचे हुए जिलों में जहाँ विवाद की स्थिति थी वहाँ लिस्ट रोक ली गई थी। वही नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद यह माना जा रहा था कि अब वही बचे हुए जिलों के साथ ही कई जिलों में नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति  की जाएगी जिसकी छाप शनिवार को घोषित हुई भाजपा जिला अध्यक्षों की सूची से स्पष्ट हो गया। 

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बीजेपी जिला अध्यक्षों की घोषणा प्रदेश में होने वाले विधानसभा के  उप चुनाव को देखते हुए की गई है। जिसमें युवा नेतृत्व को कमान सौंपी गई है। संगठन स्तर पर इसे एक अच्छा निर्णय माना जा रहा है। आज जारी हुई बीजेपी जिला अध्यक्षों की सूची में युवा और ब्राह्मण चेहरों को प्रतिनिधित्व दिया गया है। जो आने आने वाले समय में भाजपा के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। राज्य के जातिगत समीकरणों के आधार पर देखा जाए तो प्रदेश भाजपा सरकार का नेतृत्व पिछड़ा वर्ग के हाथों में है तो वही प्रदेश संगठन का नेतृत्व सामान्य ब्राह्मण वर्ग को केन्द्रीय नेतृत्व ने सौंपा है। पिछले विधानसभा चुनाव में जातिगत समीकरणों को लेकर बीजेपी को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था जिसके चलते उन्हें 15 महिनों के लिए अपनी 15 साल की सत्ता भी गवानी पड़ी थी। 

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