सर्वे के खिलाफ बड़े जंग की तैयारी, मदनी बोले- मदरसों का काम देश को एकजुट करना, 22 सितंबर को देवबंद में बड़ी बैठक
मौलाना महमूद मदनी ने बयान देते हुए कहा कि मदरसों का काम देश को एकजुट करना है। इसके साथ ही सर्वे को लेकर कटाक्ष भी किए गए। मदनी ने कहा कि बिना सरकारी मदद के ये तमाम मदरसे चल रहे हैं। हम इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सर्वे कराने के निर्देश के विरोध में देश की राजधानी दिल्ली में जमीयत उलेमा ए हिंद की बैठक हुई। सर्वे को जमीयत ने सरकारी दखल बताया है। बैठक के बाद मौलाना महमूद मदनी ने बयान देते हुए कहा कि मदरसों का काम देश को एकजुट करना है। इसके साथ ही सर्वे को लेकर कटाक्ष भी किए गए। मदनी ने कहा कि बिना सरकारी मदद के ये तमाम मदरसे चल रहे हैं। हम इस मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हैं।
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मदरसों के मोहतमिन का भी इस बैठक में जुटान हुआ। इसमें उन्होंने अपनी समस्याएं रखीं। जिसमें कहा गया कि जब सरकार सर्वे करने आएगी तो इनमें कई सारे ऐसे मदरसे हैं जिनके पास फंडिंग का कोई ट्रेल नहीं है। कई बार लोकल फंडिंग होती है, परिवार के लोग दे जाते हैं, जकात का हिस्सा मिलता है। वो हिसाब किताब कभी रखे नहीं गए क्योंकि सरकार उसमें कोई अनुदान देती नहीं है। वो क्युनिटी लेवल पर चलाते हैं। इसके अलावा कई जगहों पर जमीनें दान में मिली हैं तो वहां जमीनों का हिसाब किताब नहीं है। ऐसे में कहा जा रहा है कि हमें कागत जुटाने का समय ही नहीं मिला। इसके अलावा असम में आतंकी गतिविधियों के नाम पर कार्रवाई हुई। लेकिन मदरसों को तोड़ा गया बिजली कनेक्शन के अवैध होने आदि के नाम पर। ऐसे में उन्हें शक है कि सर्वे के नाम मदरसों के नाम पर मदरसों को टारगेट करने की कोशिश तो नहीं की जा रही है।
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तमाम बातों के बाद जमीयत ने तय किया है कि आगामी 22 तारीख को दारुउलेम देवबंद में एक बड़ी बैठक बुलाई गई। वहां अगली रणनीति तय होगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार मदरसों का सर्वे करवा रही है। सर्वे के दौरान गैर सरकारी मदरसों में मौजूद मूलभूत सुविधाओं की स्थिति जांची जाएगी। पिछले हफ्ते यूपी सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने इस फैसले की घोषणा की थी।
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