लोकसभा ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख संबंधी अनुदान की मांगों को मंजूरी दी, वित्त मंत्री ने विकास के लिये महत्वपूर्ण बताया
सीतारमण ने कहा कि आज जो लोग जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार की बात कर रहे हैं, वह उनसे पूछना चाहेंगी कि उस समय वे कहां थे जब प्रदेश में मानवाधिकार आयोग नहीं था, महिलाओं के अधिकारों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं था, अनुसूचित जाति-जनजाति के हक की बात करने वाला कोई नहीं था।
सीतारमण ने कहा कि आज जो लोग जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार की बात कर रहे हैं, वह उनसे पूछना चाहेंगी कि उस समय वे कहां थे जब प्रदेश में मानवाधिकार आयोग नहीं था, महिलाओं के अधिकारों की आवाज उठाने वाला कोई नहीं था, अनुसूचित जाति-जनजाति के हक की बात करने वाला कोई नहीं था। उन्होंने सवाल किया कि क्या मानवाधिकार की बातें हमसे (भाजपा) पूछी जायेंगी, क्या यह कांग्रेस पर लागू नहीं होता है। वित्त मंत्री ने कहा कि 1990 के दशक की शुरूआत में जम्मू कश्मीर ने नरसंहार का दौर देखा और कश्मीरी पंडितों को बाहर जाना पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘क्या कश्मीरी पंडितों का मानवाधिकार नहीं है।’’ इस पर कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि तब वीपी सिंह की सरकार थी जिसे भाजपा समर्थन दे रही थी। इसका जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि हमने वी पी सिंह सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, फिर चंद्रशेखर की सरकार आई और फिर नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार आई लेकिन कश्मीरी पंडितों के लिये कुछ नहीं किया गया क्योंकि मंशा नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि यह पहली बार नहीं है कि जम्मू कश्मीर की अनुदान मांगों को लेकर संसद में चर्चा हो रही है, 1991, 1992, 1993, 1994 और 1995 में भी जम्मू कश्मीर के अनुदानों की मांगों एवं विनियोग विधेयक पर संसद में चर्चा हुई थी।Lok Sabha passes the Jammu and Kashmir Appropriation (No.2) Bill, 2020.
— ANI (@ANI) March 18, 2020
उल्लेखनीय है कि सरकार ने वर्ष 2019-20 की अनुदान की पूरक मांग के तहत 53,963 करोड़ रुपये के निवल नकद व्यय का प्रस्ताव किया था। इसमें 78 अनुदान मांगें और 4 विनियोग का प्रस्ताव किया था। इसके तहत 4.8 लाख करोड़ रूपये के सकल अतिरिक्त व्यय को अधिकृत करने के लिये संसद से अनुमोदन मांगा गया था। इसमें से निवल नकद व्यय के प्रस्तावों से संबंधित कुल खर्च 53,963 करोड़ रुपये है। मंत्रालय/विभागों की बचत या बढ़ी हुई प्राप्तियों या वसूलियों से 4.26 लाख करोड़ रुपये समतुल्य करने की बात कही गई। संसद ने चर्चा के बाद ध्वनिमत से इसे मंजूरी दे दी। इसके अलावा सदन ने चालू वित्त वर्ष में पांच महीने के लिये नवगठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के वास्ते 55,317 करोड़ रूपये और अगले वित्त वर्ष के लिये एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के खर्च संबंधी मांग को मंजूरी दी। सदन ने 2019-20 के लिये जम्मू कश्मीर राज्य के संबंध में अनुदान की अनुपूरक मांग तथा 2019-20 के लिये जम्मू कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में अनुदानों की मांगों और 2019-20 के लिये लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में अनुदान की मांगों को भी मंजूरी दी। इसके साथ ही 2020-21 के लिये जम्मू कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में अनुदान की मांगों को मंजूरी दी गई। जम्मू कश्मीर से बनाये गये संघ राज्य क्षेत्र लद्दाख के लिये पांच महीने के खर्च के संबंध में 5,754 करोड़ रूपये की राशि मांगी गयी थी। पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य जिसमें लद्दाख भी शामिल था, इसके वर्ष 2019-20 के लिए पूरक अनुदान मांग में अप्रैल 2019 से 30 अक्टूबर 2019 तक राज्य की समेकित निधि से 208.70 करोड़ रुपये के विनियमन और भुगतान की मंजूरी मांगी गई थी।
अन्य न्यूज़