जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, राष्ट्रपति शासन 6 माह बढ़ाने संबंधी संकल्प को लोकसभा की मंजूरी
कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ाने से जुड़े सरकार के कदम का विरोध किया। मनीष तिवारी ने सरकार से पूछा कि जब राज्य में लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हो सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करवाए जा सकते? राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने यह आरोप लगाया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से राज्य के लोगों में खुद को अलग-थलग महसूस करने का भाव बढ़ा है।
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 और जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह माह बढ़ाने संबंधी संकल्प को लोकसभा की मंजूरी मिल गई। लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर में रह रहे लोगों की दिक्कतों केका जिक्र करते हुए आरक्षण संशोधन विधेयक बिल को काफी अहम बताया। इसके साथ ही सदन में कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 6 महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव पर भी चर्चा हुई और इस दौरान कांग्रेस ने इसका जमकर विरोध भी किया। शाह ने कहा कि विशिष्ट परिस्थिति के कारण राष्ट्रपति शासन का समय बढ़ाना पड़ रहा है।
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ऐसी स्थिति कांग्रेस के बार-बार धारा 356 के दुरुपयोग के कारण हुई है। इससे पहले कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि छह महीने बढ़ाने से जुड़े सरकार के कदम का विरोध किया। मनीष तिवारी ने सरकार से पूछा कि जब राज्य में लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हो सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं करवाए जा सकते? राष्ट्रपति शासन छह महीने के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक-2019 पर लोकसभा में चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने यह आरोप लगाया कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद से राज्य के लोगों में खुद को अलग-थलग महसूस करने का भाव बढ़ा है।
जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 और जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह माह बढ़ाने संबंधी संकल्प को लोक सभा की मंजूरी
— Lok Sabha TV (@loksabhatv) June 28, 2019
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