उप राज्यपाल बोले- AAP सरकार से लोकायुक्त की रिपोर्ट ‘अत्यधिक देरी’ से मिली
उप राज्यपाल कार्यालय के सूत्र ने बताया कि सक्सेना को दिल्ली लोकायुक्त की वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिये वार्षिक रिपोर्ट ‘‘ केजरीवाल से तीन साल की देरी से मिली’’ और उन्होंने इसे दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखने के लिये मंजूरी दे दी है।
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उप राज्यपाल कार्यालय के सूत्र ने बताया कि सक्सेना को दिल्ली लोकायुक्त की वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिये वार्षिक रिपोर्ट ‘‘ केजरीवाल से तीन साल की देरी से मिली’’ और उन्होंने इसे दिल्ली विधानसभा के समक्ष रखने के लिये मंजूरी दे दी है। सूत्र ने बताया कि रिपोर्ट को मंजूरी देते वक्त उप राज्यपाल ने तीन साल की अत्यधिक देरी और विधानसभा के पटल पर रिपोर्ट नहीं रखे जाने के मुद्दे को उठाया। पत्र में उप राज्यपाल ने केजरीवाल को याद दिलाया कि पहले भी इस तरह के विलंब के मुद्दे को उनके संज्ञान में लाया गया था। इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए दिल्ली सरकार ने एक बयान में कहा ‘‘उप राज्यपाल को स्कूल के हेड मास्टर की तरह आचरण करना बंद कर देना चाहिए।’’ पत्र में उप राज्यपाल ने केजरीवाल को याद करने के लिए कहा है कि पहले भी इस तरह के विलंब को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाया गया है और फिर मामले को विधानसभा में रखा गया।
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सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट एक अक्टूबर 2019 को उप राज्यपाल को पहली बार सौंपी गई थी। 23 अक्टूबर 2019 को तत्कालीन उप राज्यपाल ने यह रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेजी। उनके पास यह रिपोर्ट, लोकायुक्त द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर सरकार के स्पष्टीकरण के लिए भेजी गई थी। स्पष्टीकरण के लिए प्रशासनिक सुधार विभाग ने करीब एक साल का समय लगाया। प्रभारी मंत्री को यह रिपोर्ट 22 सितंबर 2020 को सौंपी गई। उन्होंने करीब दो साल के अंतराल के बाद 19 सितंबर 2022 को यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी। लंबा सफर तय कर यह रिपोर्ट 27 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री कार्यालय से आखिरकार उप राज्यपाल तक पहुंच ही गई। सूत्र ने काह ‘‘तीन साल के इस अत्यधिक विलंब की वजह फाइल में कहीं नहीं मिली।
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