बिहार विधानसभा का सेमीफाइल है विधान परिषद चुनाव, एनडीए और महागठबंधन की असली परीक्षा
विधान परिषद चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम भी तलाशने शुरू कर दिए गए है। हालांकि किस दल के हिस्से में कितनी सीटें जाएंगी इसको लेकर अभी भी संशय बरकरार है। किसी भी दल ने अपने पत्ते फिलहाल नहीं खोले हैं। बदले सियासी समीकरण के बीच एनडीए गठबंधन को इस विधान परिषद के चुनाव में नुकसान और विपक्ष को फायदा हो सकता है।
कोरोना संकट के बीच बिहार में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ती जा रही है। अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विधान परिषद की 9 सीटों पर चुनाव होने है। इसे बिहार विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है। उधर सत्ताधारी जनता दल यू और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी है। विधान परिषद चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नाम भी तलाशने शुरू कर दिए गए है। हालांकि किस दल के हिस्से में कितनी सीटें जाएंगी इसको लेकर अभी भी संशय बरकरार है। किसी भी दल ने अपने पत्ते फिलहाल नहीं खोले हैं। बदले सियासी समीकरण के बीच एनडीए गठबंधन को इस विधान परिषद के चुनाव में नुकसान और विपक्ष को फायदा हो सकता है।
इसे भी पढ़ें: बिहार में विधान परिषद की नौ सीटों पर चुनाव अब छह जुलाई को होंगे
चुनाव आयोग ने सोमवार को घोषणा की कि बिहार विधान परिषद् की नौ सीटों पर चुनाव अब छह जुलाई को होंगे। चुनाव पहले मई में होने वाले थे लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए इन सीटों पर चुनाव टाल दिया गया था। निर्वाचन आयोग की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, चुनाव की अधिसूचना 18 जून को जारी होगी और नामांकन पत्र 25 जून तक दाखिल किए जा सकेंगे। नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 29 जून है, जबकि चुनाव छह जुलाई को होंगे। चुनाव समाप्त होने के बाद तय नियमों के मुताबिक छह जुलाई की शाम को ही मतगणना होगी। बिहार विधान परिषद् के नौ सदस्यों का कार्यकाल छह मई को समाप्त हो गया था, जिसके बाद ये सीटें खाली हो गई थीं। इन सीटों पर जद(यू)- भाजपा के सदस्य काबिज थे। बहरहाल, विधानसभा में बदले समीकरण के कारण इनमें से कुछ सीटें अब राष्ट्रीय जनता दल नीत विपक्ष के खाते में जा सकती हैं।
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जिन नौ विधान पार्षदों के कार्यकाल समाप्त हुए हैं उनमें राज्य कैबिनेट में शामिल अशोक चौधरी, पूर्व मंत्री पीके शाही, पूर्व कार्यवाहक सभापति हारून राशिद (सभी जद-यू के) और भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया सह-संयोजक संजय प्रकाश उर्फ संजय मयूख शामिल हैं। राशिद का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही ऊपरी सदन ‘‘सभापति विहीन’’ हो गया है। अगर सदन का सत्र बुलाना पड़े तो राज्य सरकार की अनुशंसा पर राज्यपाल फागू चौहान चयनित सदस्यों में से कार्यवाहक सभापति नियुक्त कर सकते हैं। 75 सदस्यीय विधान परिषद् में वर्तमान में 26 सीट खाली है। बिहार विधानसभा में 243 सीट है जिसमें एक सीट इस वर्ष जनवरी में राजद विधायक अब्दुल गफूर की मृत्यु के कारण खाली है। जनता दल (यू) और भाजपा गठबंधन के पास 130 सीट है जबकि राजद-कांग्रेस गठबंधन के पास 110 सीट है। इसे भाकपा माले के तीन विधायकों के अलावा एआईएमआईएम के विधायक का समर्थन भी मिल सकता है। बिहार में इस वर्ष 29 नवम्बर से पहले विधानसभा चुनाव हो सकते हैं।
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राजनीतिक समीकरण के हिसाब से देखें तो इन 9 सीटों में से भाजपा को दो, जदयू को तीन, राजद को भी तीन और कांग्रेस को एक सीट मिलने की उम्मीद है। इस चुनाव में विधायक वोटर होते हैं। संख्या बल के आधार पर ही यह सदस्य चुने जाते है। फिलहाल जिन 9 सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है उनमें बीजेपी के तीन जबकि जदयू के 6 सदस्य शामिल थे। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि बिहार में विधान परिषद चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज रहेगी। विधान परिषद चुनाव के जरिए राजनीतिक पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा करने की कोशिश में रहेंगी। हालांकि नामों के चयन में सभी पार्टियां राजनीतिक हिसाब से जातीय समीकरण भी सेट करने की कोशिश करेंगे। अब देखना होगा कि 9 सीटों के बिहार विधानसभा चुनाव पर कितना असर पड़ता है।
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