सत्ता और विपक्ष की प्रतिक्रिया: बजट 2024 पर उत्तर प्रदेश के नेताओं की अलग-अलग राय

Nirmala Sitharaman
ANI

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बजट पर कटाक्ष करते हुए कहा, "यह बजट नाउम्मीदगी का पुलिंदा है। सरकार ने बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज देकर अपनी राजनीतिक मंशा जाहिर कर दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों और बेरोजगारों के लिए कुछ भी नहीं किया।"

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश किया, जिसे लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। जहां सत्ता पक्ष ने इसे ऐतिहासिक बताया, वहीं विपक्ष ने इसकी तीखी आलोचना की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट की तारीफ करते हुए कहा कि यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं और ‘अमृतकाल’ के संकल्पों को पूरा करने वाला बजट है। योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया पर लिखा, "यह बजट आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें गांव, गरीब, किसान, महिला, युवा सभी के समग्र विकास का संकल्प है।"

दूसरी ओर, बसपा प्रमुख मायावती ने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि इसमें गरीबों, बेरोजगारों, किसानों और हाशिए पर पड़े लोगों के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं है। मायावती ने अपने ट्वीट में लिखा, "बजट देश के गरीबों और उपेक्षित वर्गों के लिए निराशाजनक है। सरकार केवल अमीरों को ही फायदा पहुंचाने में लगी हुई है।"

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सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बजट पर कटाक्ष करते हुए कहा, "यह बजट नाउम्मीदगी का पुलिंदा है। सरकार ने बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज देकर अपनी राजनीतिक मंशा जाहिर कर दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश के किसानों और बेरोजगारों के लिए कुछ भी नहीं किया।"

कांग्रेस नेता अजय राय ने बजट को गुमराह करने वाला बताते हुए कहा, "इसमें जनता को कोई राहत नहीं मिली है। यह बजट सिर्फ दिखावा है और इसमें किसानों, मजदूरों और आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं है।"

किसान नेता राकेश टिकैत ने भी बजट की आलोचना करते हुए कहा, "केंद्र सरकार ने किसानों को फिर से नजरअंदाज किया है। फसलों की उचित कीमत, मुफ्त बिजली, सस्ती खाद और उपकरणों पर जीएसटी कम करने जैसे मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।"

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने बजट को उद्योगपतियों को खुश करने वाला बताया और कहा, "यह बजट मजदूरों, किसानों, युवाओं और महिलाओं के लिए निराशाजनक है। इंटर्नशिप के नाम पर युवाओं को झुनझुना पकड़ाया गया है।"

योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने बजट की तारीफ करते हुए इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। दूसरी ओर, मायावती, अखिलेश यादव, अजय राय, राकेश टिकैत और चंद्रशेखर आजाद ने बजट की आलोचना की और इसे गरीबों, किसानों और वंचित वर्गों के लिए निराशाजनक बताया।

बजट को लेकर आई यह प्रतिक्रियाएं स्पष्ट रूप से दिखाती हैं कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इसे लेकर गहरा मतभेद है। सत्ता पक्ष जहां इसे विकासोन्मुखी और जनकल्याणकारी बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे गरीब विरोधी और अमीरों के पक्ष में बताया है। अब देखना यह है कि इस बजट के प्रावधानों का वास्तविक असर जनता पर कैसा पड़ता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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