अयोध्या रेडियो की वैश्विक सेवा का शुभारंभ, प्रो. द्विवेदी बोले- यहां की संस्कृति के बारे में आज जानना चाहता है पूरा विश्व

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आईआईएमसी के महानिदेशक के अनुसार रेडियो का संचालन सुलभ और सहज है। इंटरनेट ने इसकी पहुंच को और आसान कर दिया है। इसमें संभावनाएं अपार हैं और केवल कंटेंट की चुनौती है। रेडियो में हम यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि कंटेंट रुचिकर और ज्ञानवर्द्धक, दोनों होना चाहिए।

अयोध्या, 18 अप्रैल। "हम अपनी संस्कृति, ज्ञान और शोध को रेडियो के माध्यम से आम लोगों तक रोचक ढंग से पहुंचा सकते हैं। अयोध्या आज वैश्विक फलक पर है, पूरा विश्व इसके बारे में जानना चाहता है। जहां भी भारतवंशी हैं, उनकी अयोध्या को लेकर जिज्ञासा है। हम रेडियो के माध्यम से अयोध्या की वैश्विक पहुंच काे नए स्तर पर पहुंचा सकते हैं।" यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) संजय द्विवेदी ने अयोध्या रेडियो की वैश्विक सेवा ayodhyaradio.com के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान व्यक्त किए। इस अवसर पर आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजेंद्र सिंह, श्रीरामजन्मभूमि के ट्रस्टी डॉ.अनिल मिश्र, फिल्म सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डाॅ. दुर्गेश पाठक एवं दैनिक जागरण के पत्रकारिता एवं प्रबंधन संस्थान, कानपुर के निदेशक प्रो. उपेंद्र पांडेय भी उपस्थित रहे।

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'वर्ल्ड वाइड रेडियो : चुनौतियां एवं संभावनाएं' विषय पर प्रेस क्लब, अयोध्या में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि रेडियो एक ऐसा माध्यम है, जिसकी पहुंच किसी भी भौगोलिक परिस्थिति में दूर दराज तक होती है। यह एक ऐसा माध्यम है, जो ना तो अपने उपयोगकर्ता से साक्षरता की मांग करता है, और ना ही भाषा ज्ञान की। इसलिए इसकी व्यापकता है। आईआईएमसी के महानिदेशक के अनुसार रेडियो का संचालन सुलभ और सहज है। इंटरनेट ने इसकी पहुंच को और आसान कर दिया है। इसमें संभावनाएं अपार हैं और केवल कंटेंट की चुनौती है। रेडियो में हम यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि कंटेंट रुचिकर और ज्ञानवर्द्धक, दोनों होना चाहिए।

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विजेंद्र सिंह ने कहा कि इस लोकप्रिय माध्यम से हम ज्ञान-विज्ञान को उन लोगों तक पहुंचाने में सक्षम हैं, जिन्हें इसकी आवश्यकता है। प्रो. सिंह ने वाराणसी में काशी विश्वविद्यालय के कृषि संकाय की ओर से संचालित सामुदायिक रेडियो की पहुंच और उपयोगिता की चर्चा की। उन्होंने बताया कि अपनी शुरुआत के बाद यह बहुत जल्दी लोकप्रिय हो गया था। 

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्रीरामजन्मभूमि के ट्रस्टी डॉ.अनिल मिश्र ने कहा कि रेडियो हमारी जीवन शैली में शामिल रहा है। इसके माध्यम से हम अपनी संस्कृति और संस्कार दोनों को आगे बढ़ाने का काम कर सकते हैं। फिल्म सोसायटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. दुर्गेश पाठक ने अयोध्या की नई बसावट में रेडियो की प्रासंगिकता को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि पुराने ढर्रे से हट कर वर्तमान परिवेश के अनुरूप कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाने की आवश्यकता है। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे दैनिक जागरण के पत्रकारिता एवं प्रबंधन संस्थान, कानपुर के निदेशक प्रो. उपेंद्र पांडेय ने कहा कि संचार के सबसे सशक्त और सुलभ माध्यम रेडियो के जरिए हम सकारात्मक जनमानस की रचना में अपनी अहम भूमिका निभाएं, ऐसा प्रयास रहना चाहिए। 

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कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार वीएन दास ने किया। स्वागत भाषण ज्ञान प्रकाश टेकचंदानी और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विशाखा ने दिया। इस अवसर पर प्रसिद्ध लोक गायक दुर्गा प्रसाद तिवारी आफत व संगीत गुरु मन्नू लाल जी के शिष्य संजीत कुमार ने लोकगीत भी प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में डॉ. राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय के पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग के प्रो. आरके सिंह, वरिष्ठ पत्रकार सूर्यनारायण सिंह, प्रदीप कुमार पाठक, रामकृष्ण वाजपेयी एवं सतपाल सिंह सचदेवा उपस्थित थे।

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