विदेश से लौटते ही ऐक्शन में दिखे लालू यादव, कास्ट सेंसस को लेकर RSS-BJP पर साधा निशाना, बोले- इनकी क्या औकात जो...

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ANI
अंकित सिंह । Sep 3 2024 11:58AM

अपने एक्स पोस्ट में लालू ने लिखा कि इन भाजपा आरएसएस वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे। इनका क्या औक़ात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं करायेंगे?

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि अगर भाजपा जाति जनगणना का विरोध करती है, तो वह पार्टी और उसके मूल संगठन, आरएसएस के नेताओं को ऐसा करने के लिए उठक-बैठक करवाएंगे। लालू प्रसाद यादव जातीय जनगणना को आरएसएस के सशर्त समर्थन पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने सोमवार को केरल में अपनी तीन दिवसीय समन्वय बैठक के दौरान कहा कि वह विशिष्ट समुदायों के कल्याण के लिए जनगणना डेटा एकत्र करने के खिलाफ नहीं है। इसने राजनीतिक लाभ के लिए डेटा के उपयोग के प्रति भी आगाह किया।

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अपने एक्स पोस्ट में लालू ने लिखा कि इन भाजपा/आरएसएस वाला का कान पकड़, दंड बैठक करा इनसे जातिगत जनगणना कराएंगे। इनका क्या औक़ात है जो ये जातिगत जनगणना नहीं करायेंगे? उन्होंने आगे लिखा कि इनको इतना मजबूर करेंगे कि इन्हें जातिगत जनगणना करना ही पड़ेगा। दलित, पिछड़ा, आदिवासी और गरीब का एकता दिखाने का समय अब आ चुका है। कांग्रेस ने भी जाति जनगणना पर उसके रुख के लिए आरएसएस की आलोचना की। इससे पहले सोमवार को पार्टी ने आरोप लगाया था कि आरएसएस ने जातिगत जनगणना का खुलकर विरोध किया है। 

कांग्रेस ने एक्स पर लिखा कि आरएसएस ने जातिगत जनगणना का खुलकर विरोध कर दिया है। आरएसएस का कहना है- जातिगत जनगणना समाज के लिए सही नहीं है।इस बयान से साफ है कि भाजपा और आरएसएस जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते। वे दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनका हक नहीं देना चाहते। लेकिन लिखकर रख लीजिए- जातिगत जनगणना होगी और कांग्रेस ये कराएगी।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सोमवार को कहा कि उसे विशेष समुदायों या जातियों के आंकड़े एकत्र करने पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते इस जानकारी का उपयोग उनके कल्याण के लिए हो, ना कि चुनावी लाभ के लिए राजनीतिक औजार के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाए। जिले में आयोजित तीन दिवसीय समन्वय बैठक के बाद यहां मीडिया को संबोधित करते हुए आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि जाति और जाति-संबंध हिंदू समाज के लिए एक ‘बहुत संवेदनशील मुद्दा’ है और यह ‘हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता’ के लिए भी अहम है। 

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