Rahul-Akhilesh का जात-पात..अब संघ निकालेगा काट, मोदी के फैसलों पर दिखेगी भागवत की छाप?
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष की मौजूदगी में सर संघचालक मोहन भागवत की भूमिका काफी खास मानी जा रही है। इस बैठक की सबसे खास बात है कि इसका आयोजन ऐसी जगह पर किया गया जिसके सियासी मायने निकालने की कोशिश हो रही है। संघ की ये बैठक केरल के पल्लकड़ में आयोजित की गई।
हरियाणा और जम्मू कश्मीर में चुनावों के बीच बीजेपी के थिंक टैंक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की वार्षिक समन्वय बैठक 31 अगस्त से शुरू हुई। आरएसएस के सभी संगठनों के बीच समन्वय बनाने के लिए आयोजित की गई इस बैठक की टाइमिंग बेहद अहम है। लोकसभा चुनाव के बाद से ही बीजेपी और आरएसएस के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत सामने आ रही है। माना जाता है कि संघ के कार्यकर्ताओं ने पार्टी के लिए अपेक्षित उत्साह के साथ काम नहीं किया, जिससे पार्टी को नुकसान हुआ। द इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक साक्षात्कार में भाजपा प्रमुख नड्डा की टिप्पणी कि पार्टी अब आत्मनिर्भर है और आरएसएस पर निर्भर नहीं है वाले बयान ने इस खाई को और गहरा कर दिया। ये जो खींचतान की कयासबाजी लगाई जा रही है उसको खत्म करने की कोशिश के तौर पर भी इसे देखा जा रहा है। संघ सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए वे कितना बेहतर समन्वय कर सकते हैं। लोकसभा चुनाव के बाद मोदी 3.0 के गठन से संघ अब तक कई मौकों पर बीजेपी नेतृत्व की खिंचाई करता दिखाई दिया। ऐसे में इस सम्मेलन के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष की मौजूदगी में सर संघचालक मोहन भागवत की भूमिका काफी खास मानी जा रही है। इस बैठक की सबसे खास बात है कि इसका आयोजन ऐसी जगह पर किया गया जिसके सियासी मायने निकालने की कोशिश हो रही है। संघ की ये बैठक केरल के पल्लकड़ में आयोजित की गई।
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राहुल-अखिलेश के कास्ट पॉलिटिक्स की तोड़ निकालेगा संघ
कांग्रेस ने जाति के इर्द-गिर्द एक झूठी कहानी गढ़ी। इससे जमीन पर कुछ हद तक राहत मिल गई है। इसलिए जमीनी स्तर के प्रयासों के माध्यम से प्रभावी जवाबी कार्रवाई आवश्यक है,'' संघ के एक पदाधिकारी ने चुनावों के दौरान विपक्ष के अभियान का जिक्र करते हुए द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बड़ी बहुमत वाली भाजपा सरकार आरक्षण को कमजोर करने के लिए संविधान को बदल देगी। आरएसएश भी अपनी पहुंच को बढ़ाने के लिए विभिन्न स्वतंत्र हिंदू संगठनों और दबाव समूहों के साथ मजबूत संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है। विहिप को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और झुग्गी बस्तियों की आबादी के बीच सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने का काम सौंपा गया है। खासकर दिवाली से पहले। सामाजिक समरसता अभियान आमतौर पर आरएसएस शाखा स्तर के कार्यकर्ताओं के द्वारा दलितों के लिए मंदिरों और कुओं तक पहुंच सुनिश्चित करने से जुड़ा होता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना की बात कर रहे है्। इसके साथ ही राहुल गांधी लगातार कह रहे हैं कि दलितों और पिछड़ों को कितनी भागीदारी मिल रही है। संविधान का मुद्दा उठाकर दलित वोट इंडिया गठबंधन के पक्ष में गया और मुस्लिम वोटर्स एकजुट होकर सपा-कांग्रेस गठबंधन के पक्ष में वोट किया। आमतौर पर आरएसएस ने भी आरक्षण को लेकर अपने विचारों को लचीला बनाया है।
समन्वय बैठक के लिए केरल को क्यों चुना गया?
बीजेपी केरल में लगातार अपनी सियासी पैठ बनाने की कोशिश कर रही है। जिसमें उसे धीरे धीरे कामयाबी भी मिल रही है। ऐसे में पल्लकड़ में संघ की राष्ट्रीय बैठक के आयोजन को आम जनता के बीच नेटवर्क बढ़ाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। पल्लकड़ में 30 अगस्त से 2 सितंबर तक आयोजित किए समन्वय बैठक में संघ से जुड़े सभी संगठन शामिल हुए। 2 सितंबर तक चली इस बैठक में 32 सहयोगी संगठनों के 320 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इसमें बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन सचिव बीएल संतोष भी शामिल हुए। बैठक में सर संघचालक के अलावा सभी सह सरकार्यवाहक भी मौजूद रहे। बैठक को इसलिए भी खास माना गया क्योंकि इसमें संघ के 100 साल पूरा होने को लेकर भी चर्चा की गई। बैठक में सितंबर 2025 से सितंबर 2026 तक आयोजित होने वाले शताब्दी वर्ष की तैयारियां और उससे जुड़े कार्यक्रमों पर भी मंथन किया जा रहा है।
बैठक के खास मुद्दे
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर जेपी नड्डा की जगह लेने वाले नाम पर चर्चा।
संघ के सभी सहयोगी संगठन आपस में तालमेल बनाकर उसके एजेंडे को आगे बढ़ाने पर काम करे।
जम्मू कश्मीर, हरियाणा और झारखंड, महाराष्ट्र में होने वाले चुनावों की रणनीति पर काम।
पश्चिम बंगाल की घटना के बाद महिला सुरक्षा को लेकर 5 फ्रंट पर काम
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी नेतृत्व को मिली कम सफलता के कारणों पर चर्चा
खेती किसानी और जलवायु को लेकर पैदा हो रहे संकटों पर चर्चा
झारखंड, छत्तीसगढ़ समेत पूर्वोत्तर के आदिवासी इलाकों में तेजी से बढ़ रहे धर्मांतरण पर चर्चा
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हिंदुत्व की आवाज को धार
केरल में बीजेपी लगातार अपनी जड़ें मजबूत कर रही है। हिंदुत्व विरोधी विचारधारा वाला राज्य कहलाने वाले केरल में बीजेपी खुद को हिंदुओं की आवाज बनाने की जुगत में है। धीरे धीरे ही सही वहां बीजेपी को पैठ बनाने का मौका भी मिला है। हालांकि बड़ी सफलता मिलना अभी बाकी है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने एक सीट जीतकर यहां पर ये बता दिया है कि केरल में भी वो आने वाले वक्त में बड़ी कामयाबी हासिल करेगी। साथ ही बीजेपी का वोट प्रतिशत केरल में 3 फीसदी बढ़ गया है। इसके मुकाबले कांग्रेस का वोट प्रतिशत दो फीसदी घटा है और वामपंथी दलों के वोट प्रतिशत में भी मामूली कमी आई है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक बीजेपी को भविष्य में वहां ज्यादा बड़ी पार्टी के रूप में देख रहे हैं। तमाम चर्चाओँ के बीच केरल में संघ की बैठक से मीडिया में हिंदुत्व से जुड़ी खबरों को मिलने वाली तवज्यो बीजेपी को और बढ़ावा दे सकती है।
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