KYC और विधायिका तथा न्यायपालिका, संसद में क्यों हुआ इनका जिक्र, आसान भाषा में समझें

तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आजकल सार्वजनिक बैंकों में केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) के नाम पर खाताधारकों को बार-बार परेशान किया जा रहा है और यह नहीं देने पर उनके बैंक खातों को ‘फ्रीज’ कर दिया जाता है।
संसद का बजट सत्र चल रहा है। लगातार लोकसभा और राज्यसभा में कार्यवाही देखने को मिल रही है। हालांकि, बीच-बीच में हंगामे भी देखने को मिल रहे हैं। इन सब के बीच आज दोनों ही सदनों में चर्चा के केंद्र में कई मुद्दे रहे। इसी कड़ी में आज हम ऐसे दो मुद्दों पर आपको आसान शब्दों में बताने जा रहे हैं जिनकी चर्चा संसद में हुई है। यह है केवाईसी और विधायिका तथा न्यायपालिका।
इसे भी पढ़ें: Sansad Diary: लोकसभा में क्या हुआ? स्पीकर की नसीहत पर क्यों नाराज हुए राहुल गांधी?
कैसे हुआ जिक्र
तृणमूल कांग्रेस के साकेत गोखले ने बैंककारी विधियां (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि आजकल सार्वजनिक बैंकों में केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) के नाम पर खाताधारकों को बार-बार परेशान किया जा रहा है और यह नहीं देने पर उनके बैंक खातों को ‘फ्रीज’ कर दिया जाता है। वहीं, राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका एक दूसरे के खिलाफ नहीं हैं और उन्हें नियंत्रण और संतुलन के साथ मिलकर काम करना होगा।
केवाईसी क्या है?
केवाईसी का मतलब है "Know Your Customer"। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा बैंक ग्राहकों की पहचान और पते के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि बैंकों की सेवाओं का दुरुपयोग न हो। खाता खोलते समय बैंकों को केवाईसी प्रक्रिया पूरी करनी होती है और समय-समय पर इसे अपडेट भी करना होता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि देश के तमाम नागरिक बैंकिंग सेवा से जुड़ रहे हैं।
हालांकि इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि केवाईसी की वजह से कई नागरिकों को परेशानी भी होती है। ग्रामीण जीवन और साधारण परिवार से आने वाले लोगों को इसे सबसे ज्यादा परेशानी है। इसका कारण यह है कि पढ़े-लिखे और शहरों में रहने वाले लोग तकनीक का इस्तेमाल केवाईसी को अपडेट रखते हैं। लेकिन ग्रामीण और साधारण परिवार के लोगों के लिए ऐसा करने लगातार मुश्किल होता है। ऐसे में सरकार को इस तरह के लोगों को ध्यान में रखकर भी कानून बनाने की आवश्यकता है।
विधायिका और न्यायपालिका
किसी भी देश के लोकतांत्रिक आधार के लिए कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका बेहद जरूरी है। विधायिका का मुख्य कार्य कानून बनाना है। कार्यपालिका वह अंग है जो विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों को क्रियान्वित करती है और राज्य की इच्छा को लागू करती है। न्यायपालिका सरकार की वह शाखा है जो कानून की व्याख्या करती है, विवादों का निपटारा करती है और सभी नागरिकों को न्याय प्रदान करती है। विधायिका में संसद और विधानसभा को शामिल किया जा सकता है। कार्यपालिका में सरकार और प्रशासन आता है। वहीं, न्यायपालिका में कोर्ट-कचहरी आता है।
इसे भी पढ़ें: हिरासत में रहकर संसद सत्र में शामिल होंगे इंजीनियर राशिद, पुलिस कस्टडी में जाएंगे लोकसभा, HC से मिली मंजूरी
किसी भी देश को महान बनाने के लिए यह तीन बेहद जरूरी है। देश को विकसित बनाने में इन तीनों के अहम भूमिका होती है। हालांकि, समय-समय पर टकराव की भी चर्चा हो जाती है। ऐसे में इन तीनों के बीच किसी तरीके का कोई टकराव देखने को ना मिले, ऐसी उम्मीद की जा सकती है।
अन्य न्यूज़