'जीत-हार सभी परिस्थितियों में एक समान रहे कुशाभाऊ ठाकरे', शिवराज बोले- वो CM बनाते रहे पर खुद नहीं बने

Shivraj Singh Chouhan
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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृष्ण भगवान ने कंस को मारा लेकिन खुद गद्दी पर नहीं बैंठे। कन्हैया बनाते रहे पर बने कभी नहीं। कुशाभाऊ ठाकरे जी ने भी दिन रात मेहनत कर संगठन खड़ा किया और सरकार में पार्टी को ले आए। वो मुख्यमंत्री बनाते रहें लेकिन खुद कभी नहीं बने।

भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को भोपाल में कुशाभाऊ ठाकरे की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि ठाकरे जी ने कृष्ण भगवान से कई सारी प्रेरणाएं ली होंगी। उन्होंने कहा कि आज जन्माष्टमी है। परम श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे जी का जीवन देखें, तो पाते हैं कि कुशाभाऊ जी का जीवन भगवान श्रीकृष्ण से प्रेरित था।

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खुद नहीं बने मुख्यमंत्री

उन्होंने कहा कि कृष्ण भगवान ने कंस को मारा लेकिन खुद गद्दी पर नहीं बैंठे। कन्हैया बनाते रहे पर बने कभी नहीं। कुशाभाऊ ठाकरे जी ने भी दिन रात मेहनत कर संगठन खड़ा किया और सरकार में पार्टी को ले आए। वो मुख्यमंत्री बनाते रहें लेकिन खुद कभी नहीं बने।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें अपेक्षित अवसर न मिले तो मन दुखी होता है। मनभेद भी हो जाते हैं, लेकिन श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरेजी का जीवन देखें, तो उन्होंने कभी किसी पद के लिए विचार ही नहीं किया, जबकि कोई भी पद उनके व्यक्तित्व से बड़ा हो ही नहीं सकता। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि जो हर परिस्थिति में एक समान हो वही मुझे प्रिय है। कुशाभाऊ ठाकरे जी का जीवन इस का अनुपम उदाहरण है। वह जीत-हार सभी परिस्थितियों में एक समान रहे और संगठन को गढ़ते रहे।

उन्होंने कहा कि मुझे याद है जब डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी श्रीनगर के लाल चौक में तिरंगा फहराने गए तब हजारों कार्यकर्ताओं के जोश को आदरणीय कुशाभाऊ ठाकरे जी के एक वाक्य ने अनुशासित कर दिया था। उनके आदेश पर सभी कार्यकर्ता अनुशासित हो गए थे।

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उन्होंने कहा कि परम श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे जी का जीवन संगठन को गढ़ने और कार्यकर्ताओं के संरक्षण के लिए समर्पित रहा। उनके साथ अनेकों स्मृतियां हैं, जब उन्होंने कार्यकर्ताओं के लिए स्वयं भी छोटा से छोटा काम करने में भी परहेज नहीं किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी परिस्थिति का प्रभाव हमारे मन, संकल्प पर नहीं पड़ना चाहिए। हर परिस्थिति में जो लक्ष्य के प्रति अग्रसर हो, वही सच्चा कर्म योगी है। श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे जी का जीवन इसे चरितार्थ करता अनुपम अध्याय है।

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