सेना में 40 साल का लंबा अनुभव, आतंकवाद पर लगाम के माहिर, जानें देश के नए CDS अनिल चौहान को
लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ था। वह पूर्व के सीडीएस जनरल बिपिन रावत की ही तरह उत्तराखंड से आते हैं। भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में उन्होंने 1981 में जॉइनिंग की थी। अपने लंबे सेना में सेवा के दौरान वह विभिन्न पदों पर रहे हैं।
केंद्र की मोदी सरकार ने आज देश के नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति की है। सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर अनिल चौहान को देश का नया चीफ ऑफ डिफेंस बनाया है। अनिल चौहान देश के दूसरे सीडीएस होंगे। सेना में लगभग 40 साल काम करने के बाद वह 31 मई 2021 को सेवानिवृत्त हुए थे। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारत सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को अगले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में नियुक्त किया, जो भारत सरकार, सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। इसके साथ ही कहा गया कि लगभग 40 वर्षों से अधिक के करियर में, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) ने कई कमांड, स्टाफ और सहायक नियुक्तियां की थीं और जम्मू-कश्मीर और उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में व्यापक अनुभव था।
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कौन हैं अनिल चौहान
लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर अनिल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ था। वह पूर्व के सीडीएस जनरल बिपिन रावत की ही तरह उत्तराखंड से आते हैं। भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में उन्होंने 1981 में जॉइनिंग की थी। अपने लंबे सेना में सेवा के दौरान वह विभिन्न पदों पर रहे हैं। जब वह मेजर जनरल के रैंक पर थे तब उन्होंने नॉर्दन कमान के बारामुला सेक्टर में इन्फैंट्री डिवीजन को संभाला था। बाद में उन्होंने पूर्वोत्तर के एक कोर की कमान संभाली थी। पूर्वी कमान के 2019 में वह जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ बने। सेवानिवृत्त होने तक वह इसी पद पर बने रहे। 31 मई 2021 को वह सेवानिवृत्त हो गए।
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आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन में इनका कोई जोर नहीं है। आतंकवाद के खिलाफ उन्होंने लगातार कई बड़े निर्णय लिए हैं। आतंकवाद को कंट्रोल करने में इनकी अहम भूमिका रह सकती हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के भी वह बेहद करीबी बताए जाते हैं। पूर्वोत्तर में उग्रवाद के सफाई में भी इनकी भूमिका काफी सराहनीय रही है। उन्होंने पहले भारतीय सेना के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) के रूप में कार्य किया है। नए सीडीएस केन्द्रीय विद्यालय कोलकाता, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खड़कवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। वह घरवाल के राजपूत परिवार से हैं। करियर के दौरान, उन्हें उनकी सेवा के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल (2020), उत्तम युद्ध सेवा मेडल (2018), अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।
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