जानें क्या होता है बजट सिक्रेट, कैसे वित्त मंत्रालय बजट बनाने से लेकर पेश होने तक की पूरी प्रक्रिया को गोपनीय रखता है
भले ही आज पेश हुआ बजट कई घोषणाएं लेकर नहीं आया है। मगर हमेशा की तह इस बार भी बजट पूरी तरह से गोपनीय ही रखा गया। ये जानना भी जरुरी है कि हर वर्ष आने वाले इस बजट को गुप्त क्यों रखा जाता है? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए इतिहास में जाना होगा क्योंकि कई वर्षों पहले बजट किन्हीं कारणों से लीक हो गया था।
वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले संसद का आखिरी सत्र बेहत महत्वपूर्ण है, जो 31 जनवरी से शुरु हो चुका है। इसके बाद एक फरवरी की सुबह बजट को घोषित किया गया है, जिसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेश किया है। ये लोकसभा चुनाव और नई सरकार के चुने जाने से पहले का अंतिम बजट है। ऐसे में ये अंतरिम बजट है जिसे पेश किया गया है। इस अंतरिम बजट में कोई खास घोषणा नहीं की गई है।
भले ही आज पेश हुआ बजट कई घोषणाएं लेकर नहीं आया है। मगर हमेशा की तह इस बार भी बजट पूरी तरह से गोपनीय ही रखा गया। ये जानना भी जरुरी है कि हर वर्ष आने वाले इस बजट को गुप्त क्यों रखा जाता है? इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए इतिहास में जाना होगा क्योंकि कई वर्षों पहले बजट किन्हीं कारणों से लीक हो गया था।
ऐसे लीक हुआ था बजट
स्वतंत्र भारत के लिए पहले बजट (1947-1948) की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री सर आरके शनमुखम चेट्टी ने की थी, जो ब्रिटिश समर्थक जस्टिस पार्टी के नेता थे। बजट से पहले, ब्रिटेन के राजकोष के चांसलर ह्यूग डाल्टन ने एक पत्रकार को भारत द्वारा प्रस्तावित कुछ कर परिवर्तनों का लापरवाही से उल्लेख किया था। संसद में बजट भाषण से पहले ही पत्रकार ने विवरण को प्रकाशित कर दिया था। पत्रकार की खबर के बाद इस मामले पर विवाद इतना अधिक बढ़ा कि डाल्टन को अपना पद छोड़ना पड़ा था।
वैसे ये कोई अकेली घटना नहीं थी जब ऐसा हुआ है। इसके कुछ वर्षों के बाद 1950 में भी केंद्रीय बजट का एक हिस्सा तब लीक हो गया जब राष्ट्रपति भवन में छपाई होने वाली थी। उस समय जॉन मथाई वित्त मंत्री थे। लीक के बाद बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन से नई दिल्ली के मिंटो रोड में स्थानांतरित कर दी गई। इतिहास में इस तरह की घटनाओं के कारण ही बजट की पूरी प्रक्रिया को गोपनीय रखा जाने लगा है।
ऐसे बजट को रखते हैं गोपनीय
इंटरनेट के युग में जब पल भर में ही कुछ भी वायरल हो जाता है तो ऐसी स्थिति में बजट को गोपनीय रखना बेहद मुश्किल भरा कार्य है। बीते सात दशकों से बजट की गोपनीयता लगातार बनी हुई है। बजट को वर्ष 1951 से 1980 तक बजट मिंटो रोड स्थित एक प्रेस में छपाई के लिए भेजा जाता था। ये वो समय था जब पुराने संसद भवन में वित्त मंत्रालय की सीट, नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में एक सरकारी प्रेस स्थापित की गई थी।
बजट की घोषणा से कुछ सप्ताह पहले, वित्त मंत्रालय का कार्यालय आइसोलेशन में काम करता है। बजट संसद भवन में पेश किए जाने तक वित्त मंत्रालय में विजिटर्स और प्रेस के जाने पर पाबंदी होती है। इस दौरान मंत्रालय के प्रवेश और निकास बिंदुओं पर कड़ी सुरक्षा रखी गई है। यहां तक कि जो लोग बजट बनाने में शामिल हैं, वे भी जांच के दायरे में रहते हैं। दिल्ली पुलिस की मदद से इंटेलिजेंस ब्यूरो उन पर कड़ी नजर रखता है। संयुक्त सचिव की अध्यक्षता वाली एक खुफिया टीम बजट बनाने की प्रक्रिया में शामिल अधिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखती है। उनके फोन कॉल्स को भी ट्रैक किया जाता है।
वित्त मंत्रालय में कम से कम 100 अधिकारी कम से कम 10 दिनों के लिए काम पर रहते है। ये 10 दिन वो समय होता है जब कर्मचारियों का ऑफिस के बाहर की दुनिया से हर नाता टूट जाता है। उनका बाहर की दुनिया से कोई संपर्क नहीं होता है। कर्मचारी अपने परिवार से भी नहीं मिल सकते है। आपातकालीन स्थिति में पृथक किए गए अधिकारियों के परिवार उन्हें दिए गए नंबर पर एक संदेश छोड़ सकते हैं। हालाँकि वे उनसे सीधे बात नहीं कर सकते। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सिर्फ वित्त मंत्री ही अधिकारियों से मुलाकात कर सकते हैं।
बता दें कि बजट को लेकर अंतिम तैयारियां वित्त मंत्री की मौजूदगी में हलवा समारोह के साथ शुरू होती हैं। हलवा समारोह के बाद छपाई के प्रभारी अधिकारी काम पर लग जाते हैं। वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों के अलावा, कानून मंत्रालय के कानूनी विशेषज्ञ, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अधिकारी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के अधिकारियों को भी आइसोलेट किया जाता है। प्रेस सूचना ब्यूरो के अधिकारी कुछ दिनों बाद प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित करने के लिए उनके साथ शामिल होते है। इसके साथ ही मुद्रण तकनीशियन और आशुलिपिक भी शामिल होते हैं।
गौरतलब है कि इंटरनेट के समय में साइबर चोरी की घटनाएं भी अधिक होने लगी है। इनसे बचने के लिए स्टेनो के कंप्यूटरों को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) सर्वर से अलग किया गया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो वित्त मंत्रालय में फोन जैमर लगाया गया है ताकि कॉल को ब्लॉक किया जा सके। इसके साथ ही सूचना के रिसाव को रोका जा सके। वहीं 10 दिनों तक के लिए जब सभी कर्मचारी वित्त मंत्रालय में रहते हैं तो इस दौरान आपातकाल के लिए चिकित्सा सुविधा और डॉक्टरों की टीम भी मंत्रालय के अंदर मौजूद होती है।
ये दस्तावेज हैं बेहद अहम
वित्त मंत्रालय में बजट से संबंधित कई दस्तावेज होते हैं, जिनमें से दो सबसे महत्वपूर्ण होते है। इसमें सबसे पहले ब्लू शीट आती है, जिसमें कई महत्वपूर्ण संख्याएं होती है। इसके आसपास ही बजट दस्तावेज तैयार होता है। बिजनेस टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब भी नया डेटा आता है तो इस पेपर को अपडेट किया जाता है। बजट की पूरी प्रक्रिया की ये रीढ़ मानी जाती है। यहां तक कि वित्त मंत्री के पास भी इस ब्लू शीट तक पहुंचती। ये सिर्फ संयुक्त सचिव (बजट) को सौंपा गया है। पहला ब्लू शीट ड्राफ्ट बजट की तारीख से कुछ हफ्ते पहले तैयार किया जाता है, जिसमें सरकार की वार्षिक व्यय योजना पर बजट प्रस्ताव शामिल होते हैं।
वित्त मंत्रालय के तहखाने में बजट से संबंधित दस्तावेजो को रखा जाता है। इसमें से सबसे अधिक महत्वपूर्ण बजट भाषण होता है, जिसे संरक्षित कर रखा जाता है। बजट की घोषणा से दो दिन पहले इसे आधी रात को प्रिंट करने के लिए भेजा जाता है। एक फरवरी को आने वाले बजट के लिए प्रिंटिंग संभवत: 30 जनवरी की रात में होती है।
बजट ब्रीफ़केस के अंदर क्या है?
बता दें कि बजट और इसकी प्रति को गुप्त रखे जाने के लिए दस्तावेज मुद्रित होने के बाद उन्हें एक ब्रीफकेस में रखा जाता है। इस बजट को वित्त मंत्रालय द्वारा बजट पेश किए जाने के दिन ले जाया जाता है। वास्तव में, बजट ब्रीफकेस ले जाने की प्रवृत्ति, एक औपनिवेशिक परंपरा है - जो अंग्रेजों के समय से चली आ रही है। इस परंपरा को भारत के पहले वित्त मंत्री आरके शनमुखम चेट्टी ने अपनाया था। पिछले कुछ वर्षों में, विभिन्न वित्त मंत्री बजट के दिन संसद में विभिन्न ब्रीफकेस लेकर आए हैं। मगर 2019 में निर्मला सीतारमण ने पारंपरिक बही खाता लेकर संसद में पहुंची थी, जिसके बाद से यही परंपरा जारी है।
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