कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं, राजा विक्रमादित्य ने कराया था कुतुबमीनार का निर्माण? किया जाता था सूर्य का अध्ययन
कुतुबमीनार को लेकर अब एक नया दावा सामने आया है। जिसमें कहा गया है कि इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं बल्कि राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। इसके साथ ही कहा गया है कि ये सन टावर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा की तरफ से दावा किया है।
दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में मौजूद मस्जिद में पूजा-पाठ की मांग अब अदालती दरवाजे पर है। भले ही याचिका पर सुनवाई केस से जुड़े वकील विष्णु शंकर के मौजूद रहने की वजह से 24 मई को होगी। इन तमाम कवायदों के बीच कुतुबमीनार को लेकर अब एक नया दावा सामने आया है। जिसमें कहा गया है कि इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने नहीं बल्कि राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। इसके साथ ही कहा गया है कि ये सन टावर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक धर्मवीर शर्मा की तरफ से दावा किया है कि कुतुबमीनार का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने किया था। इसका निर्माण सूर्य की दिशा का अध्ययन करने के लिए किया गया था।
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एएसआई के पूर्व क्षेत्रीय निदेशन धर्मवीर शर्मा ने दावा किया है कि कुतुब मीनार नहीं बल्कि एक सन टावर (वेधशाला टावर) है। इसका निर्माण कुतुब अल-दीन ऐबक द्वारा नहीं बल्कि 5वीं शताब्दी में राजा विक्रमादित्य द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि इस बारे में मेरे पास काफी सबूत हैं और एएसआई की तरफ से मैंने कई बार कुतुब मीनार का सर्वे किया है। कुतुब मीनार की मीनार में 25 इंच का झुकाव है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे सूर्य का निरीक्षण करने के लिए बनाया गया था। ऐसा इसलिए है क्योंकि 21 जून को इसे सूरज को देखने के लिए बनाया गया। टावर का झुकाव होने से करीब आधे घंटे तक छाया उस ओर नहीं पड़ती। यह वैज्ञानिक एवं पुरातत्विक तथ्य है।'
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बता दें कि 21 जून को सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध के लंबवत होता है जिसके कारण सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं। यह साल का सबसे लंबा दिन होता है। उन्होंने कहा कि इसलिए जिसे कुतुब मीनार कहा जाता है वह एक स्वतंत्र संरचना है और इसके पास की मस्जिद से संबंधित नहीं है। कुतुब मीनार का दरवाजा भी उत्तर दिशा में है। यानी रात के आसमान में ध्रुव तारे को देखना।
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