ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कृषि मंत्री को लिखा पत्र, तो सुनिश्चित करने पहुँचे मंत्री तुसली सिलावट कांग्रेस ने कसा तंज
ताजा मामला राज्य में चना और सरसों की खरीद प्रति हेक्टेयर 20 क्वांटल करने को लेकर कृषि मंत्री कमल पटेल को ईमेल के जरीए खत लिखा है। जिसमें उन्होनें किसानों की समस्याओं को लेकर कृषि मंत्री का ध्यान आकर्षित किया है।
भोपाल। कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश सरकार के सामने अपनी बात रखने के लिए पत्र लिखा पड़ रहा है। जबकि उनके समर्थक मंत्री भी प्रदेश सरकार के मंत्रीमंडल में शामिल है। ताजा मामला राज्य में चना और सरसों की खरीद प्रति हेक्टेयर 20 क्वांटल करने को लेकर कृषि मंत्री कमल पटेल को ईमेल के जरीए खत लिखा है। जिसमें उन्होनें किसानों की समस्याओं को लेकर कृषि मंत्री का ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने लिखा है 'हमारे प्रदेश में इस बार चने और सरसों की बंपर पैदावार हुई है। इन दोनों फसलों की सरकारी खरीद की सीमा अभी क़रीब 15 एवं 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसे 20 क्विंटल तक कर दिया जाए।" सिंधिया ने आगे सुझाव देते हुए कहा कि किसानों के संबंध में यह प्रयास हो कि "कोरोना संकट की इस घड़ी में प्रदेश के किसानों की चने और सरसों की फसल की सरकार द्वारा खरीद सीमा 20 क्विंटल तक वृद्धि की जाए तो संकट से जूझ रहे किसान को बहुत सहयोग और सहायता मिल जाएगी। मुझे आशा है मध्यप्रदेश के अन्नदाता के हित में शीघ्र ही आपका विभाग इस विषय में सकारात्मक एवं सशक्त कदम उठाएगा।"
वही सोमवार को शिवराज कैबिनेट के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने भी कृषि मंत्री कलम पटेल से मुलाकात की है। मंत्री तुसली सिलावट सिंधिया समर्थक मंत्री है। पिछली कमलनाथ सरकार में भी वह स्वास्थ्य मंत्री थे जिन्होनें सिधिया के समर्थन में मंत्री पद से त्याग पत्र देने के साथ ही सिंधिया के कहने पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। कृषि मंत्री कमल पटेल सहित सिधिया समर्थक दो मंत्रीयों तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत सहित नरोत्तम मिश्रा और मीना सिंह को शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है। पाँच मंत्रीयों के इस मंत्रिमंडल में दो सिंधिया समर्थक मंत्री है। जलसंसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कृषि मंत्री कमल पटेल से मंत्रालय में भेंट कर किसानों की बात कृषि मंत्री को बताई। जिसमें चना खरीदी 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के मान से करने की बात रखी। जिस पर कृषि मंत्री ने सहमति देते हुए कहा कि प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल की दर से मध्य प्रदेश सरकार खरीदी करेगी। प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट कृषि मंत्री कमल पटेल से मिले और उनसे मांग की कि किसानों के हित में 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर चने की खरीदी की जाय।
हालंकि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा लिखे पत्र से कृषि मंत्री पटेल भी उनकी बात से सहमत है। कृषि मंत्री ने बताया कि पिछले साल सीहोर में समर्थन मूल्य पर चना खरीदी के लिए सीमा प्रति हेक्टेयर 18 क्विंटल तय की थी, जबकि हरदा में यह 14-15 क्विंटल थी, जो कम थी। मुख्यमंत्री से इस संबंध में चर्चा की गई तो उन्होंने इसे बढ़वाकर 19 क्विंटल किया था। इससे किसानों को 56 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था। इसी तरह होशंगाबाद में भी किसानों को करीब सौ करोड़ रुपये का लाभ हुआ था। शिवराज सरकार किसानों की सरकार है। इसमें किसी का अहित नहीं होने दिए जाएगा। दाना-दाना खरीदा जाएगा। जिलों से उत्पादकता को लेकर रिपोर्ट बुलाई है। इसके बाद उत्पादकता के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के कृषि मंत्री को लिखे खत को लेकर तंज कसा है। कांग्रेस का कहना है कि सिंधिया कांग्रेस में सीधे सड़क पर उतरने की धमकी देते थे। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया का पत्र पढ़ा, उसकी भाषा पढ़ी। जिसमें वह किसानों की समस्याओं को लेकर कृषि मंत्री से आग्रह कर रहे हैं, उन्हें सुझाव दे रहे हैं, उनका ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। आशा कर रहे हैं उनके इस पत्र पर वे सकारात्मक कदम उठाएंगे। सलूजा ने कहा कि, यही ज्योतिरदित्य सिंधिया कांग्रेस की सरकार में सीधे सड़कों पर उतरने की बात करते थे, अपने दंभ में रहते थे, अधिकारियो को सीधे निर्देश देते थे, चेतावनी देते थे, वह आज भाजपा सरकार आते ही मंत्रियो के सामने घिघिया रहे हैं।
लेकिन सिंधिया द्वारा कृषि मंत्री को लिखे गए खत के बाद उनके समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट की अपनी ही कैबिनेट के मंत्री से मिलकर वही बात दोहराना सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। जहाँ कांग्रेस उनके पत्र को लेकर तंज कस रही है तो दूसरी ओर तुसली सिलावट के मंत्री कमल पटेल से मिलने को लेकर यह कहा जा रहा है कि सिंधिया अपने पत्र को लेकर संशय में थे इसलिए उन्होनें सुनिश्चित करने अपने समर्थक मंत्री को कृषि मंत्री के पास भेजा ताकि यह साफ हो सके कि उनके पत्र पर सरकार कोई कार्यवाई कर रही है कि नहीं।
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