ज्योतिरादित्य सिंधिया ने छोड़ा महासचिव पद, हरीश रावत ने भी दिए सियासत छोड़ने के संकेत
चार दिन पहले कांग्रेस महासचिव के पद से इस्तीफा देने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने रविवार को सक्रिय राजनीति छोड़ने का संकेत देते हुए कहा कि वह अपनी पारी खेल चुके हैं और अब अपने परिवार तथा मित्रों के साथ समय बिताना चाहते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। सिंधिया ने कहा कि लोगों के फैसले को स्वीकार करते हुए और जवाबदेही लेते हुए, मैंने अपना इस्तीफा AICC के महासचिव के रूप में राहुल गांधी को सौंप दिया था। मैं उन्हें इस जिम्मेदारी को सौंपने के लिए और मुझे अपनी पार्टी की सेवा करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद देता हूं। इससे पहले आज ही मुंबई कांग्रेस प्रमुख मिलिंद देवड़ा ने रविवार को इस पद से अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी और कहा कि वह पार्टी को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका निभाने की आशा करते हैं।
Jyotiraditya Scindia: Accepting the people’s verdict and taking accountability, I had submitted my resignation as General Secretary of AICC to Rahul Gandhi. I thank him for entrusting me with this responsibility and for giving me the opportunity to serve our party. https://t.co/002mILVqIx
— ANI (@ANI) July 7, 2019
उधर चार दिन पहले कांग्रेस महासचिव के पद से इस्तीफा देने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने रविवार को सक्रिय राजनीति छोड़ने का संकेत देते हुए कहा कि वह अपनी पारी खेल चुके हैं और अब अपने परिवार तथा मित्रों के साथ समय बिताना चाहते हैं। गत तीन जुलाई को कांग्रेस महासचिव पद से इस्तीफा देने के अपने फैसले को सोशल मीडिया के जरिये साझा करने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने इसकी वजह हाल में लोकसभा चुनावों में असम में पार्टी को मिली करारी हार बतायी। रावत असम में पार्टी मामलों के प्रभारी थे। अपने ट्वीट में रावत ने लिखा था, ‘मैंने अपनी कमजोरी महसूस की है और महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है।’
इसे भी पढ़ें: छोटे से राजनीतिक कार्यकाल में निर्मला सीतारमण ने हासिल की बड़ी उपलब्धि
यहां एक बातचीत में रावत ने कहा कि वह अपनी पारी खेल चुके हैं और अब अपने परिवार तथा मित्रों के साथ समय बिताना चाहते हैं। चुनावी दृष्टि से रावत के लिये पिछले कुछ साल अच्छे नहीं रहे और उनके बयानों को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। उन्होंने इस बार उत्तराखंड की नैनीताल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। इससे पहले भी, उनके मुख्यमंत्री रहते हुए 2017 राज्य विधानसभा चुनावों में भी न केवल कांग्रेस महज 11 सीटों पर सिमट गयी, वह खुद भी दोनों विधानसभा सीटों, हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से चुनाव हार गये थे। हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या वह राजनीति से संन्यास लेने का संकेत दे रहे हैं, रावत ने इसका सीधा जवाब न देते हुए कहा कि वह कांग्रेस पार्टी तथा जनता की सेवा करते रहेंगे और सेवा करने के लिये किसी पद की दरकार नहीं होती।
अन्य न्यूज़