जस्टिस यशवंत का इलाहाबाद HC तबादला ना किए जाए, CJI से बार एसोसिएशन ने की मांग

न्यायालय के पुस्तकालय हॉल में एकत्रित अधिवक्ताओं की भीड़ के समक्ष प्रस्ताव पढ़ते हुए तिवारी ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के आचरण ने देश को झकझोर दिया है और संविधान की कार्यक्षमता दांव पर है। इसलिए जस्टिस यशवंत वर्मा का हाई कोर्ट जज के तौर पर बने रहना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है क्योंकि इससे जनता का विश्वास खत्म हो गया है, जो न्यायिक व्यवस्था के पास उपलब्ध एकमात्र शक्ति है। अगर विश्वास खत्म हो गया तो सब कुछ खत्म हो जाएगा, देश खत्म हो जाएगा।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने मांग की है कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा द्वारा इलाहाबाद और दिल्ली उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश के रूप में दिए गए सभी निर्णयों पर गौर किया जाए और उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं। यह उसी दिन हुआ है जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने घोषणा की थी कि वर्मा से न्यायिक कार्य तत्काल प्रभाव से वापस ले लिया गया है। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने सोमवार को कहा यह कहना उचित है कि इस घटना के बाद न्यायपालिका, विशेष रूप से उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय, नैतिक उच्च आधार का दावा नहीं कर पाएंगे।
इसे भी पढ़ें: नकदी बरामदगी विवाद: उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति वर्मा के स्थानांतरण की सिफारिश की
न्यायालय के पुस्तकालय हॉल में एकत्रित अधिवक्ताओं की भीड़ के समक्ष प्रस्ताव पढ़ते हुए तिवारी ने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा के आचरण ने देश को झकझोर दिया है और संविधान की कार्यक्षमता दांव पर है। इसलिए जस्टिस यशवंत वर्मा का हाई कोर्ट जज के तौर पर बने रहना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है क्योंकि इससे जनता का विश्वास खत्म हो गया है, जो न्यायिक व्यवस्था के पास उपलब्ध एकमात्र शक्ति है। अगर विश्वास खत्म हो गया तो सब कुछ खत्म हो जाएगा, देश खत्म हो जाएगा।
इसे भी पढ़ें: भारत-पाक मैच के दौरान देश विरोधी नारेबाजी…प्रशासन ने चलाया था बुलडोजर, अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस
प्रस्ताव में आगे कहा गया वरिष्ठ वकीलों ने इस बात पर भी चर्चा की कि विचाराधीन आचरण न्यायमूर्ति वर्मा के किसी न्यायिक कार्य से संबंधित नहीं है, इसलिए उन्हें कोई संरक्षण या सुविधा नहीं दी जानी चाहिए। यह संरक्षण न्यायिक कर्तव्य के उचित निर्वहन के लिए दिया गया है।
अन्य न्यूज़