Haryana Political Party: हरियाणा में कई चुनौतियों से जूझ रही JJP, खुद को किंगमेकर बनाने की जुगत में दुष्यंत चौटाला

Dushyant Chautala
ANI

बता दें कि हाल ही में जननायक जनता पार्टी के 10 में से 6 विधायकों ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है। ऐसे में हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेजेपी के आधे से ज्यादा विधायक पार्टी में शामिल नहीं हैं। ऐसे में जेजेपी समेत अन्य राजनीतिक दल अपना जनाधार बढ़ाने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं।

हरियाणा विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियों के साथ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। वहीं चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के बाद प्रदेश के पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी को एक तरह से झटका लगा है। लेकिन जेजेपी और इनेलो दलित आधार वाले दलों के साथ मिलकर खुद को किंगमेकर साबित करने की जुगत में जुटी है। बता दें कि जेजेपी इस चुनाव में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी के साथ मिलकर मैदान में उतरी है।

बता दें कि हाल ही में जननायक जनता पार्टी के 10 में से 6 विधायकों ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है। ऐसे में हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जेजेपी के आधे से ज्यादा विधायक पार्टी में शामिल नहीं हैं। ऐसे में जेजेपी समेत अन्य राजनीतिक दल अपना जनाधार बढ़ाने के लिए खूब मेहनत कर रहे हैं। हालांकि साल 2019 के विधानसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला की पार्टी किंगमेकर बनकर उभरी थी। उस दौरान जेजेपी ने पिछली सरकार को अपना समर्थन दिया था, जिसके बदले में उनको डिप्टी सीएम सहित दो मंत्री पद मिले।

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वहीं गठबंधन टूटने के बाद दुष्यंत चौटाला की पार्टी कई मोर्चों पर चुनौतियों से जूझ रही है। वहीं पार्टी के विधायक मुखर होकर खुलेआम दुष्यंत की पार्टी और नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। बता दें कि पार्टी के कई विधायकों ने यह कहते हुए जेजेपी से पल्ला झाड़ लिया कि वह दूसरी पार्टी की नीतियों से अधिक प्रभावित हैं।

बता दें कि इस साल अप्रैल महीने में जेजेपी को एक बड़ा झटका लगा था, जब राज्य इकाई के अध्यक्ष निशान सिंह ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीट पर जेजेपी ने चुनाव लड़ा था। लेकिन पार्टी को बमुश्किल 0.87 फीसदी वोट मिले थे। साथ ही पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई थी।

चुनाव नतीजों के बाद पार्टी की सभी जिला इकाइंयां भंग कर दी गईं। लेकिन अब ऐसा लगता है कि दुष्यंत चौटाला इस बार के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर अपनी पार्टी को मजबूती से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। जेजेपी नेतृत्व सक्रिय रूप से राज्य का दौरान करने के साथ कैडर के मनोबल को बढ़ाने की कोशिश करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे हैं।

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