जीतन मांझी के बेटे का बिहार मंत्रिमंडल से इस्तीफा; जेडीयू ने कहा, उनकी पार्टी महागठबंधन से बाहर

Jitan Ram Manjhi
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सहरसा जिले के एक दलित नेता व जदयू के विधायक रत्नेश सदा को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया गया, जिससे अटकलें लगाई जाने लगीं कि उन्हें सुमन के स्थान पर मंत्रिमंडल मेंशामिल किया जा सकता है।

बिहार के मंत्री संतोष कुमार सुमन ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) पर उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा स्थापित पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) पर विलय के लिए ‘दबाव’ बनाने का आरोप लगाते हुए राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। सुमन के इस्तीफे के तुरंत बाद मंत्रिमंडल सचिवालय द्वारा उसकी स्वीकृति को लेकर जारी अधिसूचना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि सत्तारूढ़ महागठबंधन में ‘हम’ के चार विधायकों का उतना महत्व नहीं रहा है। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, जिन्हें सुमन ने अपना इस्तीफा सौंपा था, ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस्तीफा व्यक्तिगत कारणों की वजह सेसाथ चलने में असमर्थता इंगित करती है।’’

मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ललन के साथ चौधरी ने कहा, ‘‘इसका स्पष्ट अर्थ है कि हम, जिसके सुमन राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, महागठबंधन का घटक नहीं है।’’ तेजस्वी ने बताया कि यह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) था जिसने सुमन को 2018 में बिहार विधान परिषद के लिए निर्वाचित होने में मदद की थी। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री से उन्हें जो सम्मान मिला है, मैं उसका गवाह हूं। मांझी जी को नीतीश जी ने (2014 में) मुख्यमंत्री बनाया था, जिन्होंने ढाई साल पहले अपने बेटे को भी मंत्री बनाया था और बाद में जब ‘हम’ ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को छोड़कर महागठबंधन में शामिल होने के जदयू के मार्ग का अनुसरण किया तब भी उनके मंत्री पद को बरकरार रखने में मदद की थी।’’

ललन ने सरकार में अनुसूचित जाति/जनजाति कल्याण विभाग संभालरहे सुमन के इस तर्क का मजाक उड़ाया कि जदयू उनकी पार्टी का विलय के लिए ‘दबाव’ बना रही थी। उन्होंने कहा, ‘‘जब दो दल एक साथ गठबंधन करते हैंतो कई विषयों पर बातचीत होती है। निश्चित रूप से, हमारा विचार था कि उनकी पार्टी के छोटे रूप में बने रहने का कोई मतलब नहीं है और वे विलय होने पर ही मजबूत होंगे। लेकिन यह उनके लिए था प्रस्ताव स्वीकार करें या अस्वीकार करें। कोई उन्हें इसके लिए कैसे मजबूर कर सकता था?’’ उन्होंने यह भी कहा कि 23 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक के लिए इस घटनाक्रम से कोई झटका नहीं लगा है। कयास लगाए जा रहे बिहार में यह राजनीतिक उथल पुथल जो पिछले साल अगस्त में महागठबंधन सरकार के गठन के बाद से किसी मंत्री के तीसरे इस्तीफे के रूप में सामने आया है, ने मंत्रिमंडल के विस्तार की नई मांग को जन्म दिया है।

इससे पहले राजद कोटे से दो मंत्रियों कार्तिक कुमार और सुधाकर सिंह ने अलग-अलग कारणों से इस्तीफा दे दिया था। सहरसा जिले के एक दलित नेता व जदयू के विधायक रत्नेश सदा को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाया गया, जिससे अटकलें लगाई जाने लगीं कि उन्हें सुमन के स्थान पर मंत्रिमंडल मेंशामिल किया जा सकता है। कांग्रेस महागठबंधन की तीसरी सबसे बड़ी घटक है, और वह उम्मीद करती है कि मंत्रिमंडल में मौजूदा दो स्थानों के अलावा कम से कम एक और सीट मिलेगी। कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,‘‘कैबिनेट विस्तार कुछ समय के बाद होने की उम्मीद है और जब भी यह होगा, यह सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए अच्छा होगा।’’

हालांकि, तेजस्वी ने इस बारे में पूछे गए सवालों को यह कहते हुए टाल दिया कि मंत्रियों को शामिल करना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। मैं भी, उपमुख्यमंत्री के रूप में अपनी हैसियत का श्रेय उन्हीं को देता हूं। इस बीच, सुमन ने अपने पत्ते नहीं खोलते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हम महागठबंधन नहीं छोड़ रहे हैं। हम नीतीश कुमार के साथ एकजुटता में शामिल हुए थे, जिनके विपक्षी एकता अभियान को हम सफल बनाना चाहते हैं और जिन्हें हम प्रधानमंत्री के रूप में देखकर खुश होंगे। अगर वह हमें गठबंधन से बाहर करने का विकल्प चुनते हैं, तो हम उसका सम्मान करेंगे।’’ यह पूछे जाने पर कि न तो मांझी को और न ही उन्हें यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विरोधी नेताओं की बैठक में आमंत्रित किया गया है, सुमन ने कहा कि इसका कोई खास महत्व नहीं है।

अगर हमें बाद में निमंत्रण मिलता है, तो हमें बैठक में भाग लेने में खुशी होगी। उन्होंने कहा, ‘‘यह मान लेना गलत है कि हम राजग के साथ बातचीत कर रहे हैं क्योंकि मेरे पिता कुछ समय पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे। नीतीश कुमार, अटल बिहारी वाजपेयी की प्रशंसा करते रहें हैं। इसका मतलब यह है कि वह भाजपा के साथ जाएंगे।’’ सुमन ने यह भी कहा कि उन्होंने विलय के प्रस्ताव पर खुद को हल्का महसूस किया क्योंकि केवल कमजोर लोगों को ही अपनी स्वतंत्र पहचान छोड़ने के लिए कहा जाता है। सुमन से यह पूछे जाने पर कि क्या राजद या कांग्रेस को कभी जदयू के साथ विलय करने के लिए कहा गया होगा?उन्होंने कहा, ‘‘हम समाज के एक कमजोर वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।

हम लड़ाई नहीं कर सकते थे लेकिन हम अपने अनुयायियों की भावनाओं का अपमान नहीं कर सकते थे। इसलिए मैंने इस्तीफा देकर अपना विरोध दर्ज कराने का फैसला किया।’’ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी और विधायक दल के नेता विजय कुमार सिन्हा सहित भाजपा के नेताओं ने बयान जारी कर नीतीश कुमार पर ‘‘वरिष्ठ दलित नेता मांझी को अपमानित करने’’ का आरोप लगाया। भाजपा विधायक पवन जायसवाल ने मांझी के आवास गए और बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘मांझी एक ऐसे नेता हैं जो हमेशा राज्य के हित में काम करते हैं। वह जो भी निर्णय लेंगे, राजग द्वारा उसका सम्मान किया जाएगा।’’ गौरतलब है कि मांझी ने 2015 में ‘हम’ का गठन किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार की वापसी के लिए रास्ता बनाने के लिए जदयू छोड़ दिया था। महीनों बाद, पार्टी ने राजग सहयोगी के रूप में बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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