झाबुआ उपचुनावः कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद
इस सीट पर तीन निर्दलीय सहित पांच उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होने की उम्मीद है। निर्दलीय उम्मीदवारों में भाजपा के बागी कल्याण सिंह डामोर, निलेश डामोर और रामेश्वर सिंगार शामिल हैं।
भोपाल। मध्य प्रदेश की झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया और भाजपा के युवा प्रत्याशी भानू भूरिया के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर देश की आजादी के बाद वर्ष 1952 से लेकर अब तक 15 बार चुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस 10 बार जीती है जबकि सोशलिस्ट पार्टी ने 1952और 1962 में हुए चुनाव में अपना परचम लहराया। वहीं, भाजपा ने तीन बार साल 2003, 2013 और 2018 में इस सीट को अपनी झोली में डालने में सफलता पायी।
इसे भी पढ़ें: खुर्शीद के बाद सिंधिया भी बोले- कांग्रेस को आत्म अवलोकन की जरूरत है
भाजपा विधायक गुमान सिंह डामोर के त्यागपत्र देने से झाबुआ सीट खाली हुई। डामोर इस साल हुए लोकसभा चुनाव में रतलाम-झाबुआ सीट से सांसद बन गये इसलिए उन्होंने झाबुआ विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।डामोर ने साल 2019 में हुए रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट पर कांतिलाल भूरिया को हराया था जबकि 2018 में झाबुआ विधानसभा सीट पर कांतिलाल भूरिया के बेटे विक्रांत भूरिया को हराया था। झाबुआ विधानसभा सीट पर 21 अक्टूबर को उपचुनाव होगा और मतगणना 24 अक्टूबर को होगी। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश से पांच बार लोकसभा सदस्य रहे कांतिलाल भूरिया (68) के रूप में झाबुआ विधानसभा उपचुनाव मैदान में एक बड़ा चेहरा उतारा है।
इसे भी पढ़ें: ग्वालियर में बोले सिंधिया, कांग्रेस को आत्म चिंतन की जरूरत
वहीं, भाजपा ने उनके खिलाफ अपने युवा प्रत्याशी भानू भूरिया (36) को उतार कर दांव खेला है। भानू पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और वह वर्तमान में भारतीय जनता युवा मोर्चा के झाबुआ जिले के अध्यक्ष हैं। हालांकि, इस सीट पर तीन निर्दलीय सहित पांच उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होने की उम्मीद है। निर्दलीय उम्मीदवारों में भाजपा के बागी कल्याण सिंह डामोर, निलेश डामोर और रामेश्वर सिंगार शामिल हैं।
अन्य न्यूज़