Jammu Kashmir Political Party: नया अध्याय लिखने को तैयार जम्मू-कश्मीर, क्या JKNC फिर रच पाएगी इतिहास
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो फारूक और उमर अब्दुल्ला चुनाव में इस्लाम और मुस्लिम धर्म का कार्ड खेल रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस बार घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस में अपनी जगह को मजबूत बनाए रखने के लिए वर्चस्व नहीं बल्कि अस्तित्व की लड़ाई होने जा रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का ऐलान होने के साथ ही राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों के साथ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं। वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस मिलकर सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने बताया कि उनकी पार्टी और कांग्रेस एक साथ हैं। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हमें भरोसा है कि इस चुनाव में हमारी जीत होगी। यहां के लोग कई सालों से परेशानियों व कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।
बता दें कि दोनों राजनीतिक दलों के बीच सभी 90 सीटों पर गठबंधन हो गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें, तो फारूक और उमर अब्दुल्ला चुनाव में इस्लाम और मुस्लिम धर्म का कार्ड खेल रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस बार घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस में अपनी जगह को मजबूत बनाए रखने के लिए वर्चस्व नहीं बल्कि अस्तित्व की लड़ाई होने जा रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर केंद्रित एक प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी है। साल 1932 में शेख अब्दुल्ला ने चौधरी गुलाम अब्बास के साथ मिलकर इस पार्टी की स्थापना की थी।
पार्टी की स्थापना के दौरान इसका नाम ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कॉन्फ्रेंस था। बाद में साल 1939 में इसका नाम बदलकर नेशनल कॉन्फ्रेंस कर दिया गया। जिससे कि यह राज्य के सभी लोगों का प्रतिनिधित्व कर सके। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने साल 1947 में कश्मीर के भारत में विलय का समर्थन किया था। साल 1947 से लेकर 2002 तक यह पार्टी किसी न किसी रूप में राज्य की सत्ता में शामिल रही है।
फिर साल 2009 और 2015 के बीच शेख अब्दुल्ला के पोते और फारुक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला राज्य के मुख्यमंत्री भी बनें। इसके अलावा फारूक अब्दुल्ला भी राज्य के कई बार सीएम रह चुके हैं। इस 90 सदस्यीय विधानसभा सीटों वाले राज्य में तीन चरणों में चुनाव होने हैं। पहले चरण का चुनाव 18 सितंबर, दूसरे चरण का चुनाव 25 सितंबर और तीसरे चऱण का चुनाव 01 अक्तूबर को होगा।
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