राज्यसभा चुनाव का वो दिलचस्प मुकाबला, जब अहमद पटेल के सामने अमित शाह ने लगाई फिल्डिंग, फिर EC ने किया अनुच्छेद 324 का प्रयोग
राजस्थान में बीजेपी के तीन वोटों के खारिज होने के आसार नजर आ रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र में बीजेपी की तरफ से शिवसेना और एनसीपी के विधायक सुहास कण्डे, यशोमती ठाकुर, जीतेन्द्र अहवाद के वोट को लेकर आपत्ति जताई गई है।
राज्यसभा चुनाव कब होते हैं और कब इसके परिणाम घोषित हो जाते हैं किसी को पता भी नहीं चलता। बशर्ते अहमद पटेल न लड़ रहे हो और उनको हराने के लिए अमित शाह फिल्डिंग न लगा रहे हो। साल 2017 का चुनाव जब शाह खुद तो जीत गए लेकिन पटेल को राज्यसभा पहुंचने से नहीं रोक सके। देश में इस वक्त 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों के लिए मतदान हो रहा है। 41 उम्मीदवारों को पहले ही निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया है, जबकि चार राज्यों - महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक में 16 सीटों के लिए मुकाबला जारी है। राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव एकल संक्रमणीय मतों के माध्यम से खुले मतदान द्वारा किया जाता है। राज्य की विधान सभा के सदस्य राज्य सभा चुनावों में एकल संक्रमणीय मत (एसटीवी) प्रणाली के साथ आनुपातिक प्रतिनिधित्व कहलाते हैं। प्रत्येक विधायक का वोट केवल एक बार गिना जाता है।
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राजस्थान और महाराष्ट्र में वोट खारिज होने का डर
राजस्थान में बीजेपी के तीन वोटों के खारिज होने के आसार नजर आ रहे हैं। वहीं महाराष्ट्र में बीजेपी की तरफ से शिवसेना और एनसीपी के विधायक सुहास कण्डे, यशोमती ठाकुर, जीतेन्द्र अहवाद के वोट को लेकर आपत्ति जताई गई है। कहा गया है कि ठाकुर और अहवाद ने अपने वोटिंग एजेंट के हाथ में मतपत्र थमा दिया था। वहीं कण्डे ने दूर से वोटिंग पेपर दिखाया, जिसकी वजह से ये दो पोलिंग एजेंट को दिख गया।
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जब चुनाव आयोग ने अनुच्छेद 324 का प्रयोग किया
2017 में हुए गुजरात राज्यसभा चुनाव में देखी गई थी। यूं तो इस चुनाव में अहमद पटेल के सामने बीजेपी से कांग्रेस के ही पुराने सहयोगी बलवंत राजपूत थे लेकिन यह चुनाव अहमद पटेल बनाम अमित शाह हो गया था। 2017 राज्यसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच तीसरी सीट को लेकर कांटे की टक्कर हुई। दोनों दल आधी रात को चुनाव आयोग पहुंचे और आखिर में जाकर अहमद पटेल को जीत नसीब हुई थी। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि उसके दो विधायकों ने वोट डालने के बाद बूथ के बाहर खड़े अमित शाह को विक्ट्री साइन दिखाया था। लिहाजा उनका वोट रद्द कर दिया जाए। देर रात तक दोनों दलों के नेताओं का चुनाव आयोग में आना-जाना लगा और 12 बजे के बाद चुनाव आयोग ने अपना अंतिम फैसला सुनाया। आयोग ने अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा वोटों को वैध घोषित करने के फैसले को खारिज करने के लिए किया। आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 की ओर रुख किया, जो पैनल को उन स्थितियों में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की अभूतपूर्व शक्ति देता है, जो कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, भारत में चुनाव प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले कानून के अंतर्गत नहीं आते हैं।
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