Jan Gan Man: पटाखों पर रोक से कैसे दूर होगा भ्रष्टाचार का प्रदूषण? जानलेवा Delhi Air Pollution को रोकने की बजाय नौटंकी कर रही Kejriwal सरकार
जहां तक दिल्ली में भ्रष्टाचार की देन से बढ़ रहे प्रदूषण से लोगों की जान को बढ़ रहे खतरे की बात है तो आपको बता दें कि शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि वायु प्रदूषण दिल्ली में लोगों की लगभग 12 साल की उम्र कम कर रहा है।
दिल्ली सरकार ने सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों के उत्पादन, बिक्री तथा उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि वायु प्रदूषण को रोकने के लिए पटाखों पर प्रतिबंध आवश्यक है। जबकि हकीकत यह है कि दिल्ली में प्रदूषण पटाखों की वजह से नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की वजह से फैल रहा है। हम आपको बता दें कि सीबीआई ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के पर्यावरण मामले के एक वरिष्ठ अभियंता मोहम्मद आरिफ के परिसर से 2.39 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है। सीबीआई ने बताया है कि वरिष्ठ अभियंता मोहम्मद आरिफ भ्रष्ट आचरण में लिप्त रहा है और निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों से उनकी कंपनियों के लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति से पुन: मंजूरी दिलाने में सहयोग करने की एवज में रिश्वत लेता रहा है।
यहां सवाल उठता है कि प्रदूषण नियंत्रण संबंधी फर्जी प्रमाणपत्र बांटे जाते रहे और दिल्ली सरकार को इस बात का पता कैसे नहीं चला? सवाल उठता है कि प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियों से पैसे लेकर प्रदूषण नियंत्रण समिति से संचालन की मंजूरी दिलाने तथा दूसरी ओर आम जनता के लिए कभी वाहनों के संचालन के लिए ऑड-ईवन नियम बनाने तो कभी पटाखे पर प्रतिबंध लगाने से क्या दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार आ जायेगा? हम आपको यह भी बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार जब पहली बार वाहनों के लिए ऑड-ईवन नियम लेकर आई थी तभी सीएनजी स्टिकर घोटाला भी सामने आ गया था जिससे साफ हो गया था कि आम आदमी पार्टी आपदा में अवसर खोज रही है। यही नहीं, दिल्ली की यमुना नदी की बात करें तो खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तमाम दावों के बावजूद इस नदी की हालत में जरा भी सुधार नहीं आया है और यह सर्वाधिक प्रदूषित नदियों में बनी हुई है। यमुना की हालत देखकर सवाल उठता है कि जल में दिख रहा जहरीला झाग कहीं दिल्ली सरकार के भीतर भ्रष्टाचार के चरम पर होने का संकेत तो नहीं दे रहा है?
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जहां तक दिल्ली में भ्रष्टाचार की देन से बढ़ रहे प्रदूषण से लोगों की जान को बढ़ रहे खतरे की बात है तो आपको बता दें कि शिकागो विश्वविद्यालय में ऊर्जा नीति संस्थान (ईपीआईसी) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि वायु प्रदूषण दिल्ली में लोगों की लगभग 12 साल की उम्र कम कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया था कि वायु प्रदूषण न केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है, बल्कि सभी आयु समूह के लोगों के हृदय और मस्तिष्क जैसे अन्य प्रमुख अंगों को भी प्रभावित करता है।
कुल मिलाकर देखें तो दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए केजरीवाल सरकार के पास किसी ठोस फॉर्मूले का अभाव है तभी हर साल पटाखों पर प्रतिबंध लगाने, स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं करने, कार्यालयों में वर्क फ्रॉम होम करने और वाहनों को चलाने के लिए सम-विषम योजना को लागू कर दिया जाता है। केजरीवाल सरकार को समझना होगा कि जब तक ठोस नीति बनाकर उस पर ईमानदारी से अमल नहीं किया जायेगा तब तक दिल्लीवासियों का दम घुटता ही रहेगा। इसके अलावा ठोस नीति के साथ ही भ्रष्टाचार पर काबू पाना भी प्राथमिकता होनी चाहिए। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के पर्यावरण मामले के वरिष्ठ अभियंता मोहम्मद आरिफ का मामला दर्शा रहा है कि कैसे लोगों की जान से खेला जा रहा है।
हम आपको बता दें कि सीबीआई ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के पर्यावरण मामले के एक वरिष्ठ अभियंता के परिसर से 2.39 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है जिन्हें इसके पहले कथित तौर पर 91 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया था। अधिकारियों ने बताया है कि वरिष्ठ अभियंता मोहम्मद आरिफ और कथित तौर पर रिश्वत देने वाले किशलय शरण सिंह, उनके पिता और बिचौलिए भगवत शरण सिंह और दो व्यापारियों- राम इलेक्ट्रोप्लेटर्स के मालिक राज कुमार चुघ और एमवीएम के गोपाल नाथ कपूरिया के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आरिफ भ्रष्ट आचरण में लिप्त रहा है और निजी कंपनियों के प्रतिनिधियों से उनकी कंपनियों के लिए डीपीसीसी से पुन: मंजूरी दिलाने में सहयोग करने की एवज में रिश्वत लेता रहा है। आरोप के अनुसार, उसने कथित तौर पर भगवत शरण सिंह के साथ साजिश रची, जिसने डीपीसीसी से संबंधित मामलों में कंपनियों के लिए बिचौलिए और सलाहकार के रूप में काम किया। सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘उक्त बिचौलिया कथित तौर पर उक्त लोक सेवक के निर्देश पर कंपनियों से रिश्वत की रकम एकत्र करता और फिर उसे नियमित अंतराल पर उसे सौंपता था।’’ संघीय एजेंसी ने आरोप की जांच की। इसके बाद एजेंसी ने जाल बिछा कर आरिफ और किशलय शरण सिंह को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा।
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