स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 का परिणाम जारी, लगातार चौथे साल इंदौर ने मारी बाजी
केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में वाराणसी को ‘गंगा किनारे बसा हुआ सबसे अच्छा शहर’ घोषित किया गया है। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक समारोह में स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2020 की घोषणा की।
नयी दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा कराए गए स्वच्छता सर्वेक्षण के बृहस्पतिवार को घोषित नतीजों में इंदौर को लगातार चौथे साल भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। सर्वेक्षण में इस बार दूसरा स्थान सूरत और तीसरा स्थान नवी मुंबई को मिला है।
केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में वाराणसी को ‘गंगा किनारे बसा हुआ सबसे अच्छा शहर’ घोषित किया गया है। केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक समारोह में स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2020 की घोषणा की।The fourth consecutive win!
— Ministry of Housing and Urban Affairs (@MoHUA_India) August 20, 2020
Congratulations to all the officials and citizens of Indore for winning the Cleanest City Award in #SwachhSurvekshan2020.
Your continuous zeal & enthusiasm to keep your city clean has become an inspiration for all.
Congratulations Indore! pic.twitter.com/4wulewXMHa
नागरिकों की भागीदारी, नवाचारों और टिकाऊ इंतजामों से इंदौर ने लगाया सफाई का चौका
केंद्र सरकार के सालाना स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार चौथी बार अव्वल रहकर इंदौर ने देश के सबसे साफ-सुथरे शहर का अपना प्रतिष्ठित खिताब बरकरार रखा है। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले शहर की इस सिलसिलेवार सफलता में करीब 35 लाख नागरिकों की सहभागिता के साथ ही कचरा प्रबंधन के नवाचारों और वित्तीय रूप से टिकाऊ व्यवस्थाओं का भी बड़ा हाथ है। आवास और शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बृहस्पतिवार को डिजिटल तरीके सेआयोजित पुरस्कार समारोह के दौरान स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 के परिणाम जाहिर किये और इंदौर को भारत का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया। देश के 4,242 शहरों में किये गये इस सर्वेक्षण में कुल 1.9 करोड़ नागरिकों ने अपनी राय देकर भागीदारी की। केंद्रीय मंत्री की घोषणा के साथ ही इंदौर नगर निगम (आईएमसी) का चौका लगायेंगे का नारा साकार हो चुका है और इस कामयाबी के बाद शहर भर में जश्न का माहौल है। खुशी से सराबोर सफाई कर्मियों ने सड़कों पर रंगोली बनाकर उत्सवी रंग बिखेरे। इन रंगोलियों में इंदौर नंबर 1 भी उकेरा गया था। इंदौर लोकसभा क्षेत्र के सांसद शंकर लालवानी ने ढोल की थाप पर महिला सफाई कर्मियों के साथ नाचकर खुशी जाहिर की। इस बीच, आईएमसी की आयुक्त प्रतिभा पाल ने एक सन्देश में कहा, स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार चौथी बार अव्वल रहने के लिये मैं इंदौर के सभी जागरूक नागरिकों और जन प्रतिनिधियों को बधाई देती हूं।
शहर के मेहनती सफाई कर्मी भी इस मौके पर बधाई के हकदार हैं जिन्होंने हर मौसम में शहर को साफ रखने के लिये जी-तोड़ मेहनत की है। इंदौर की इस कामयाबी की नींव में कचरा प्रबंधन और प्रसंस्करण की अलग-अलग योजनाएं हैं। आईएमसी के अधिकारियों ने बताया कि शहर में हर रोज तकरीबन 1,200 टन कचरे का अलग-अलग तरीकों से सुरक्षित निपटारा करने की क्षमता विकसित की गयी है। इसमें 550 टन गीला कचरा और 650 टन सूखा कचरा शामिल है। उन्होंने बताया कि लगभग 8,500 सफाई कर्मी तीन पालियों में सुबह छह बजे से तड़के चार बजे तक लगातार काम करते हुए शहर को चकाचक रखते हैं। अधिकारियों ने बताया कि शहर से बड़ी कचरा पेटियां काफी पहले ही हटा दी गयी हैं और आईएमसी की करीब 700 गाड़ियों की मदद से तकरीबन हर घर एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान से गीला और सूखा कचरा अलग-अलग जमा किया जाता है। इस्तेमाल किये गये डाइपर और सैनिटरी नैपकिन जैसे जैव अपशिष्टों को कचरा संग्रहण गाड़ियों में अलग रखा जाता है ताकि इनका सुरक्षित निपटारा किया जा सके। केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान के लिये आईएमसी के सलाहकार असद वारसी ने बताया कि इन गाड़ियों के जरिये कचरा जमा किये जाने के बदले शहरी निकाय ने घरों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों से वित्तीय वर्ष 2014-2015 में 60 लाख रुपये का शुल्क (यूजर चार्जेस) वसूला था जो पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 60 गुना बढ़कर 36 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया।Indore is India's cleanest city in Swachh Survekshan 2020, the fifth edition of the annual cleanliness survey of the country.
— ANI (@ANI) August 20, 2020
The city has bagged the spot fourth time in a row. Gujarat's Surat on second spot and Maharashtra's Navi Mumbai on third. pic.twitter.com/mNcMhehoxE
उन्होंने बताया, मौजूदा वित्तीय वर्ष में शहर से करीब 40 करोड़ रुपये का कचरा संग्रहण शुल्क वसूले जाने का अनुमान है। वारसी ने बताया, मौजूदा वित्तीय वर्ष में शहर से करीब 40 करोड़ रुपये का कचरा संग्रहण शुल्क वसूले जाने का अनुमान है। उन्होंने यह भी बताया कि शहर में कचरा प्रसंस्करण संयंत्र सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर लगाये गये हैं ताकि ये वित्तीय रूप से टिकाऊ बने रहें। उन्होंने कहा, अब शहर में कचरा एक बोझ नहीं, बल्कि एक कीमती संसाधन बन चुका है। इन संयंत्रों के जरिये गीले और सूखे कचरे के प्रसंस्करण से आईएमसी को वित्तीय वर्ष 2019-20 में करीब छह करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। अगले वित्तीय वर्ष 2021-22 में यह कमाई बढ़कर 10 करोड़ रुपये के आस-पास पहुंच सकती है। आईएमसी अधिकारियों ने बताया कि शहर के करीब 35,000 घरों में गीले कचरे से खाद बनाने वाली इकाइयां लगी हैं। इससे घरों से गीला कचरा बाहर निकलना कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि आईएमसी ने थैला बैंकों और बर्तन बैंकों की स्थापना के साथ ही घरों और होटल-रेस्तरांओं में बचे हुए भोजन को जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने के लिये फूड एटीएम जैसे नवाचारी कदम भी उठाये हैं। अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में सिंगल यूज प्लास्टिक उत्पादों के इस्तेमाल पर काफी पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि शहर के सीवेज के शोधित पानी का करीब 12 प्रतिशत हिस्सा आईएमसी के 25 बगीचों में दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है। इंदौर, वर्ष 2017, 2018 और 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षणों में भी देश भर में अव्वल रहा था।इंदौर ने बढ़ाया देश व प्रदेश का मान
— CMO Madhya Pradesh (@CMMadhyaPradesh) August 20, 2020
चौथी बार मिला सबसे स्वच्छ शहर का सम्मान
-स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 में मध्यप्रदेश के इंदौर को चौथी बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब मिला
-इंदौर ने देश के 4242 शहरों को पीछे छोड़कर इतिहास रचा है। pic.twitter.com/7DDu0XHdqL
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