काबुल में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात की
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने अफगान सरकार के वरिष्ठ सदस्यों, पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) के अधिकारियों और अफगान व्यापार समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की।
नयी दिल्ली। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने काबुल में अफगान अधिकारियों के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात की। चर्चा अफगान लोगों को भारत की मानवीय सहायता के साथ-साथ अफगान व्यापारियों द्वारा चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर केंद्रित रही। विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान प्रभाग के प्रमुख संयुक्त सचिव जे पी सिंह ने बृहस्पतिवार को तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के साथ बातचीत की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने अफगान सरकार के वरिष्ठ सदस्यों, पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) के अधिकारियों और अफगान व्यापार समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान के लोगों को भारत की मानवीय सहायता पर चर्चा की और अफगान व्यापारियों द्वारा चाबहार बंदरगाह के इस्तेमाल पर भी चर्चा की।’’
अफगानिस्तान सरकार के एक बयान में कहा गया है कि सिंह और मुत्तकी ने सुरक्षा, व्यापार और नशीले पदार्थों का मुकाबला करने के तरीकों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। मानवीय सहायता के लिए भारत का आभार व्यक्त करते हुए मुत्तकी ने कहा कि अफगानिस्तान भारत के साथ राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करना चाहता है। बयान में कहा गया है कि मुत्तकी ने अफगान व्यापारियों, मरीजों और छात्रों के लिए भारत द्वारा वीजा जारी करने की सुविधा प्रदान करने का आह्वान किया।
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भारत ने अभी तक अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता नहीं दी है और काबुल में वास्तव में समावेशी सरकार के गठन की वकालत कर रहा है। भारत इस बात पर भी जोर दे रहा है कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए। भारत अफगानिस्तान में उभर रहे मानवीय संकट को दूर करने के लिए देश को निर्बाध मानवीय सहायता प्रदान करने की वकालत करता रहा है।
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