Shaurya Path: Germany, Pakistan-Bangladesh Relation, Russia-Ukraine War और US-China से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

Brigadier DS Tripathi
Prabhasakshi

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी, 2022 को पड़ोसी यूक्रेन में हजारों सैनिकों को भेजने के अपने फैसले के पीछे मुख्य कारण के रूप में पिछले दो दशकों में रूस की सीमाओं की ओर नाटो के विस्तार का हवाला दिया है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह जर्मनी में हुए हमले, पाकिस्तान और बांग्लादेश के रिश्तों, रूस-यू्क्रेन युद्ध और चीनी सेना के बारे में आई पेंटागन की रिपोर्ट से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-

प्रश्न-1. क्रिसमस पर जर्मनी में जो हमला हुआ उससे क्या संदेश गया है?

उत्तर- 20 दिसंबर को जर्मनी के मैगडेबर्ग में एक व्यक्ति ने क्रिसमस के भीड़ भरे बाजार में कार घुसा दी, जिसमें नौ वर्षीय एक लड़के सहित पांच लोगों की मौत हो गई। इस हमले में 200 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें से लगभग 40 लोगों को गंभीर या गंभीर चोटें आईं। उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि संदिग्ध के इरादों का एक कारक सऊदी शरणार्थियों के साथ जर्मनी के व्यवहार से उसकी निराशा हो सकती है। उन्होंने कहा कि संदिग्ध ने जर्मन नागरिकों को निशाना बनाकर ऑनलाइन मौत की धमकियाँ जारी की थीं और अधिकारियों के साथ उसका टकराव का रिकॉर्ड भी था। उन्होंने कहा कि सऊदी गुप्त सेवा ने जर्मनी की विदेशी खुफिया एजेंसी, संघीय खुफिया सेवा (बीएनडी) को एक साल पहले एक ट्वीट के बारे में सचेत किया था, जिसमें अल-अब्दुलमोहसेन ने चेतावनी दी थी कि सऊदी शरणार्थियों के साथ किए गए व्यवहार के लिए जर्मनी को परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अगस्त में ही उसने सोशल मीडिया पर लिखा था- "क्या जर्मनी में जर्मन दूतावास को उड़ाए बिना या जर्मन नागरिकों को बेतरतीब ढंग से मारे बिना न्याय का कोई रास्ता है? ... अगर किसी को पता है, तो कृपया मुझे बताएं।" उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया पर निगाह रखे जाने की जरूरत है और हर धमकी तथा चेतावनी को गंभीरता से लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जर्मनी की संघीय पुलिस ने पिछले साल अल-अब्दुलमोहसेन से खतरों का मूल्यांकन करते हुए निष्कर्ष निकाला था कि वह "कोई विशेष खतरा" नहीं है। उन्होंने कहा कि हमला दर्शाता है कि जर्मनी को खतरे की पहचान के तरीकों में बदलाव करना चाहिए।

प्रश्न-2. पाकिस्तान और बांग्लादेश करीब आ रहे हैं। मोहम्मद युनूस ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान 1971 के दौर को भुलाने का आग्रह किया है। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- 19 दिसंबर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस ने मिस्र के काहिरा में डी-8 के दौरान द्विपक्षीय वार्ता की। उन्होंने कहा कि सितंबर में न्यूयॉर्क में यूएनजीए के दौरान हुई मुलाकात के बाद दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी मुलाकात थी। उन्होंने कहा कि काहिरा में हुई बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने व्यापार बढ़ाने और सांस्कृतिक प्रतिनिधिमंडलों और खेलों के आदान-प्रदान के जरिए द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर सहमति जताई। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने चीनी उद्योग और डेंगू बुखार के प्रबंधन के क्षेत्रों में सहयोग में भी अपनी रुचि व्यक्त की, जिसके कारण 2023 में बांग्लादेश में करीब एक हजार लोगों की मौत हो गई थी और यह पाकिस्तान में भी एक गंभीर समस्या है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के अलावा, दोनों नेताओं ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के पुनरुद्धार पर भी चर्चा की। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की कमान संभालने के बाद से, SAARC का पुनरुद्धार विदेश नीति का एक प्रमुख उद्देश्य रहा है। उन्होंने कहा कि शरीफ के साथ अपनी बैठक के दौरान, यूनुस ने कहा कि SAARC को पुनर्जीवित करना उनकी "सर्वोच्च प्राथमिकता" है और "मैं SAARC के विचार का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। मैं इस मुद्दे पर जोर देता रहता हूं। मैं SAARC नेताओं का एक शिखर सम्मेलन चाहता हूं, भले ही यह केवल एक फोटो सत्र के लिए ही क्यों न हो, क्योंकि इससे एक मजबूत संदेश जाएगा।" इस संदर्भ में, शरीफ ने कहा कि वह इस पहल का समर्थन करेंगे और प्रस्ताव दिया कि दोनों देशों को क्षेत्रीय मंच को पुनर्जीवित करने के लिए कदम दर कदम आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय दोनों देशों के पास वैसे तो एक दूसरे को देने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है लेकिन दोनों साथ खड़े रह कर दुनिया को एक खास संदेश देना चाह रहे हैं।

प्रश्न-3. यूक्रेन के राष्ट्रपति ने कहा है कि नाटो की सदस्यता का लक्ष्य हासिल करना संभव है। क्या यूक्रेन वाकई सफल हो पायेगा?

उत्तर- रूस द्वारा आक्रमण किए जाने के बाद यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने के अपने प्रयासों को तेज़ कर दिया था, लेकिन यह लक्ष्य अब तक पूरा नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि जिस तरह के हालात हैं उसको देखते हुए नाटो यूक्रेन को सदस्यता देगा भी नहीं क्योंकि यदि कीव नाटो में शामिल हुआ तो उसकी मदद करना हर नाटो सदस्य की जिम्मेदारी हो जायेगी और हारी हुई लड़ाई को कोई भी देश नहीं लड़ना चाहेगा। उन्होंने कहा कि पूर्वी यूरोपीय देशों का कहना है कि नाटो शिखर सम्मेलन में कीव को किसी तरह का रोड मैप पेश किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि खासतौर पर अमेरिका और जर्मनी किसी भी ऐसे कदम के प्रति सावधान हैं जो गठबंधन को रूस के साथ युद्ध के करीब ले जा सकता है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी, 2022 को पड़ोसी यूक्रेन में हजारों सैनिकों को भेजने के अपने फैसले के पीछे मुख्य कारण के रूप में पिछले दो दशकों में रूस की सीमाओं की ओर नाटो के विस्तार का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन के किसी भी विस्तार पर सभी 31 सदस्यों की सहमति होनी चाहिए, और नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने शिखर सम्मेलन में कीव के लिए औपचारिक निमंत्रण को पहले ही खारिज कर दिया है।

प्रश्न-4. पेंटागन की चीनी सेना के बारे में जो रिपोर्ट आई है उससे कई सवाल खड़े हुए हैं। हालांकि चीन ने रिपोर्ट को बेतुका बताया है। क्या आपको वाकई लगता है कि पेंटागन की ओर से दूसरे देशों की सेना के बारे में मनगढ़ंत रिपोर्टें जारी की जाती हैं?

उत्तर- चीनी सेना ने पेंटागन की हाल की उस रिपोर्ट की निंदा की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि भ्रष्टाचार के कारण पीएलए का आधुनिकीकरण बाधित हो रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी की गई अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, चीनी रक्षा मंत्रालय ने वाशिंगटन पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के खिलाफ ‘‘झूठा विमर्श गढ़ने’’ का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि रक्षा प्रवक्ता झांग शियाओगांग ने कहा है कि रिपोर्ट में ‘‘चीन की रक्षा नीतियों की गलत ढंग से व्याख्या की गई है, चीन की सैन्य क्षमता विकास के बारे में अटकलें लगाई गई हैं, चीन के घरेलू मामलों में खुलेआम हस्तक्षेप किया गया है, चीनी सेना की निंदा की गई है और चीन द्वारा उत्पन्न तथाकथित सैन्य खतरे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।’’ उन्होंने कहा कि पेंटागन की 165 पृष्ठों की विस्तृत रिपोर्ट में चीनी सैन्य आधुनिकीकरण समेत कई मुद्दों का जिक्र किया गया है तथा कहा गया है कि भ्रष्टाचार चीन के आधुनिकीकरण को प्रभावित कर रहा है।

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