Shaurya Path: Indian Army, PM Modi Poland-Ukraine Visit, Russia-Ukraine और Israel-Hamas से संबंधित मुद्दों पर Brigadier Tripathi से वार्ता

Brigadier DS Tripathi
Prabhasakshi

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने एक सवाल के जवाब में कहा कि दिल्ली में हुई बैठक में युद्ध की भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच संयुक्त संचालन और एकीकरण को बढ़ाने पर भी व्यापक विचार-विमर्श किया गया।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह भारतीय सेना की ओर से किये गये एक खास विचार मंथन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोलैंड और यूक्रेन यात्रा, रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-

प्रश्न-1. भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व ने ‘विकसित भारत’ की कार्य योजना पर विचार-विमर्श किया। इसके तहत क्या रणनीति बनी है?

उत्तर- सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस सप्ताह सोमवार को भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें 12 लाख जवानों वाली सेना को 2047 तक भारत को एक विकसित देश बनाने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। उन्होंने कहा कि इस दौरान सभी लड़ाकू हथियारों, लड़ाकू सहायता हथियारों और साजो-सामान इकाइयों के आधुनिकीकरण के साथ-साथ अधिकतम दक्षता और परिचालन तत्परता सुनिश्चित करने के लिए सेना मुख्यालय, कमान मुख्यालय और अन्य प्रमुख संरचनाओं के पुनर्गठन पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि इस मंच से भारतीय सेना के शीर्ष अधिकारियों को रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और अगले दो दशकों में भारतीय सेना के परिवर्तन की दिशा निर्धारित करने का अवसर प्राप्त हुआ।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दिल्ली में हुई बैठक में युद्ध की भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच संयुक्त संचालन और एकीकरण को बढ़ाने पर भी व्यापक विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि तीस जून को सेना प्रमुख का पदभार संभालने के बाद जनरल द्विवेदी के नेतृत्व में यह पहली उच्च स्तरीय बैठक है। उन्होंने कहा कि इसमें भारतीय सेना की सात कमानों के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सीएस) ने भाग लिया।

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प्रश्न-2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोलैंड और यूक्रेन यात्रा का क्या महत्व है?

उत्तर- यह दोनों ही यात्राएं काफी अहम रहीं। उन्होंने कहा कि पोलैंड में प्रधानमंत्री का जिस तरह से स्वागत हुआ और दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए जिस तरह से गर्मजोशी दिखाई वह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि यूरोप में सिर्फ पोलैंड ही बचा था जिसके भारत के साथ संबंध प्रगाढ़ नहीं थे जबकि दोनों देशों के रिश्तों का काफी पुराना इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी की यात्रा के बाद हालात बदलने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच हुए द्विपक्षीय समझौते भी दर्शा रहे हैं आने वाले दिनों में भारत और पोलैंड संबंधों का नया रूप सामने आयेगा।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत और पोलैंड की कंपनियों ने एक दूसरे के देश में निवेश के लिए जो रुचि दिखाई है उससे व्यवसायिक संबंध भी प्रगाढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में व्यापारिक संबंध दो देशों के रिश्तों की मजबूती का आधार बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत और पोलैंड ने अपने संबंधों को “रणनीतिक साझेदारी” के स्तर तक उन्नत किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके पोलिश समकक्ष डोनाल्ड टस्क के बीच व्यापक वार्ता के बाद कुशल श्रमिकों की आवाजाही को बढ़ावा देने के लिए एक सामाजिक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि बैठक में दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा संबंधों को महत्वपूर्ण रूप से विस्तारित करने का संकल्प व्यक्त किया। टस्क ने घरेलू रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने और अपने सशस्त्र बलों को आधुनिक बनाने के नयी दिल्ली के प्रयासों में एक प्रमुख भागीदार बनने की वारसॉ की इच्छा भी व्यक्त की।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की लगभग आधी सदी में पोलैंड की पहली यात्रा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पोलिश राष्ट्रपति आंद्रजेज डूडा के साथ भी बातचीत की। उन्होंने कहा कि मोदी-टस्क वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने भारत-पोलैंड रणनीतिक साझेदारी के लिए एक पंचवर्षीय ‘‘कार्य योजना’’ (2024-2028) का अनावरण किया, जिसमें सहयोग के लिए रक्षा, व्यापार, कृषि-तकनीक, ऊर्जा, हरित प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, फार्मास्यूटिकल्स और खनन सहित कई क्षेत्रों की पहचान की गई। उन्होंने कहा कि संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग को सुदृढ़ एवं गहन बनाने की आवश्यकता को स्वीकार किया। इस उद्देश्य से उन्होंने रक्षा सहयोग के लिए संयुक्त कार्य समूह सहित मौजूदा द्विपक्षीय तंत्रों का पूर्ण उपयोग करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने संपर्क के महत्व पर बल दिया तथा दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा शुरू होने का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त वक्तव्य में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के रूप में यूरोपीय संघ और भारत का बहुध्रुवीय विश्व में सुरक्षा, समृद्धि और सतत विकास सुनिश्चित करने में साझा हित है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने साथ ही भारतीय संस्कृति के जानकार लोगों के एक समूह के साथ विचार साझा किए और उन्होंने भारतीय संस्कृति, भाषा और कला पर उनके काम के साथ-साथ दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जहां तक प्रधानमंत्री की यूक्रेन यात्रा की बात है तो वह भी ऐतिहासिक रही। उन्होंने कहा कि अमेरिका समेत कई देशों और संयुक्त राष्ट्र ने भी प्रधानमंत्री की इस यात्रा का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने युद्धग्रस्त देश यूक्रेन की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान इस बात को दोहराया कि भारत का दृढ़ता से यह मानना है कि युद्ध के मैदान में किसी समस्या का हल नहीं निकलता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि शांति के प्रयासों में भारत सतत भूमिका निभाएगा। उन्होंने रूस और यूक्रेन को बिना समय गंवाए बातचीत करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि रूस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति को भी इसी तरह की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाने के लिए अब तक कई शांति सम्मेलन हो चुके हैं लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच अब तक एक भी शांति वार्ता नहीं हुई थी इसलिए उम्मीद है कि मोदी की सलाह पर दोनों देश बातचीत की टेबल पर आयेंगे और इस तरह वैश्विक शांति की दिशा में भारत की ओर से एक बड़ा योगदान इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा।

प्रश्न-3. यूक्रेन ने रूस पर हमले बढ़ा दिये हैं इसे कैसे देखते हैं आप? साथ ही रूसी राष्ट्रपति की अचानक चेचन्या यात्रा का क्या कारण हो सकता है?

उत्तर- रूसी राष्ट्रपति चेचन्या इसलिए गये थे ताकि वह वहां के लड़ाकों को रूसी सेना के लिए लड़ने के लिए प्रेरित कर सकें। जहां तक रूस पर बढ़ते हमलों की बात है तो इसको देखकर दुनिया हैरत में है लेकिन इससे भी ज्यादा हैरत इस बात की है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जवाब क्यों नहीं दे पा रहे हैं।

प्रश्न-4. अमेरिकी विदेश मंत्री ने इजराइल और हमास के बीच संघर्षविराम कराने के काफी प्रयास किये हैं। आपको क्या लगता है संघर्षविराम संभव है?

उत्तर- संघर्षविराम को संभव बनाने के लिए अमेरिका तो पूरी मेहनत कर रहा है लेकिन कभी इजराइल पीछे हट जाता है तो कभी हमास। उन्होंने कहा कि लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों को देखते हुए एक बात तो तय है कि बाइडन प्रशासन कुछ समय के लिए संघर्षविराम करवा कर रहेगा। उन्होंने कहा कि पहले भी अमेरिका की पहल पर ही दो बार इजराइल और हमास के बीच संघर्षविराम हो चुका है हालांकि वह अल्पावधि का ही था।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि देखा जाये तो संघर्षविराम के लिए 2023 नवंबर से बातचीत जारी है यानि करीब 9 महीने से प्रयास चल रहे हैं लेकिन अब तक कुछ ठोस परिणाम हासिल नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि जून 2024 में इजरायली पीएम नेतन्याहू ने स्वीकार किया था कि वह मूल रूप से बंधकों की वापसी के लिए आंशिक समझौता चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मिस्र, कतर और अमेरिका इस बातचीत में मध्यस्थता कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपनी हालिया यात्रा के दौरान स्वीकार किया है कि नेतन्याहू ने शांति योजना में कमियों को दूर करने के लिए एक प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। अब इसे स्वीकार करने की जिम्मेदारी हमास पर है। उन्होंने कहा कि हालांकि हमास ने जवाब दिया है कि नवीनतम प्रस्तावों में इज़राइल को कई नई रियायतें शामिल हैं इसलिए वह इसे स्वीकार नहीं कर पा रहा है। उन्होंने कहा कि साथ ही हमास ने आरोप लगाया है कि इज़राइल युद्ध जारी रखने के लिए समय खींच रहा है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक संघर्ष में ताजा अपडेट की बात है तो खबरों के मुताबिक इज़राइल की सेना का कहना है कि उसने आज सुबह गाजा शहर के ज़िटौन में हमास के "कमांड सेंटर" पर हवाई हमला किया। उन्होंने कहा कि इजराइली सेना ने हमास पर वहां हथियार जमा करने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि यह सुविधा एक इमारत के भीतर स्थित थी जो पहले एक स्कूल के रूप में काम करती थी। उन्होंने कहा कि इसमें किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे पहले, गाजा सिटी के ज़िटौन के पूर्व में एक सभा पर इजरायली हवाई हमले की सूचना मिली थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में इज़रायली बलों और हमास और फ़िलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद दोनों के लड़ाकों के बीच भीषण झड़पों की भी सूचना है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ऐसी भी खबर है कि अश्कलोन के 19 वर्षीय अशकेनाज़ी नेकेम्या को फिलिस्तीनी एन्क्लेव के दक्षिण में मार दिया गया है जिससे 7 अक्टूबर या उसके बाद से मारे गए इजरायली सैनिकों की कुल संख्या 695 हो गई है। उन्होंने कहा कि इस आंकड़े में 332 वह सैनिक शामिल हैं जिनके बारे में इजरायली सेना का दावा है कि 27 अक्टूबर को गाजा पट्टी में जमीनी कार्रवाई शुरू होने के बाद से वे मारे गए हैं।

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