तालिबान को लेकर चीन और पाकिस्तान के हर दांव को फेल करने की तैयारी में भारत
माना जा रहा है कि भारत इस वक्त सख्ति के साथ इस मूड में है कि वह तालिबान को मौजूदा हालात में किसी भी आधार पर मान्यता देने को तैयार नहीं है।
जब से अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ है उसके पास सुरक्षा विशेषज्ञ इसे भारत के लिए बड़ी चुनौती मान रहे हैं। ऐसे में अब अब भारत तब भी तालिबान पर पाकिस्तान और चीन की हर चाल को फेल करने की नीति बना रहा है। तालिबान मामले पर भारत अपने स्टैंड और कश्मीर पर पाकिस्तान के दुष्प्रचार को काउंटर करने के लिए लगातार तैयारी कर रहा है। इसके लिए भारत कूटनीतिक तौर पर कई देशों के संपर्क में भी है। माना जा रहा है कि भारत इस वक्त सख्ति के साथ इस मूड में है कि वह तालिबान को मौजूदा हालात में किसी भी आधार पर मान्यता देने को तैयार नहीं है। लेकिन भारत की नीति यह भी है कि पाकिस्तान और चीन की गठजोड़ उसे किसी भी हाल में मान्यता दिलाने में सफल ना हो पाए।
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विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने यह दावा किया है कि पिछले कुछ दिनों से भारत की तमाम देशों से इस को लेकर बातचीत हो रही है। यह भी दावा किया जा रहा है कि तालिबान को मान्यता दिलाने की पाकिस्तान और चीन के दांव भारत की वजह से कमजोर होती जा रही है। यही कारण है कि पहले सॉफ्ट कॉर्नर रखने के बावजूद अब रूस तालिबान को लेकर सख्त रुख अपना चुका है। इसके लिए भारत मुस्लिम देशों से संपर्क में है। मुस्लिम देश सऊदी अरब सहित कई और देशों ने अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता पहले ही व्यक्त की है। इन सबके बीच ईरान के विदेश मंत्री अगले महीने भारत के दौरे पर आ रहे हैं।
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ईरान के विदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में भारत में हो रहा है जब पूरे दुनिया की नजर तालिबान और उसके कारण हमें पर है। भले ही तालिबान अफगानिस्तान में इस्लामिक राष्ट्र स्थापित करने का दावा कर रहा हो लेकिन इस्लामिक देश उसके साथ खड़े नहीं हो रहे हैं। ईरान ने भी इस बात को साफ कर दिया है कि चुनाव होने के बाद ही तालिबान की सरकार को मान्यता दी जाएगी। कतर ने भी कह दिया है कि पहले महिलाओं का सम्मान करें तालिबान, मान्यता उसे अभी नहीं दी जाएगी। इन सब के बीच भारत का यह मानना है कि पाकिस्तान तालिबान मसले पर दबाव बनाने के लिए कश्मीर का मसला उठा सकता है। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान के संबोधन पर भारत नजर रहने वाला है।
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