जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक रक्षा अभ्यास कर रहा है भारत, Arunachal Pradesh में तीनों सेनाओं के संयुक्त अभ्यास के बीच देश ने पहली बार किया Antariksha Abhyas

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अंतरिक्ष में भारत के राष्ट्रीय रणनीतिक उद्देश्यों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से अपनी तरह का पहला अभ्यास सोमवार को दिल्ली में शुरू हुआ था जिसमें प्रमुख रक्षाध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने जोर देकर कहा था कि अंतरिक्ष अब देश की रक्षा और सुरक्षा तंत्र का ‘महत्वपूर्ण संबल’ है।

धरती से लेकर अंतरिक्ष तक भारत अपनी रक्षा क्षमताओं में तेजी से वृद्धि कर रहा है। हम आपको बता दें कि इस समय भारत की तीनों सेनाओं का अभ्यास तो चल ही रहा है साथ ही देश ने अपना पहला अंतरिक्ष अभ्यास भी किया है। यही नहीं, विभिन्न देशों के साथ भारत के संयुक्त रक्षा अभ्यास भी चल रहे हैं। तीनों सेनाओं के अभ्यास की बात करें तो आपको बता दें कि भारत की तीनों सेनाएं अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम क्षेत्रों में 'पूर्वी प्रहार' अभ्यास कर रही हैं। सेना के अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि इस संयुक्त अभ्यास का मकसद चुनौतीपूर्ण पहाड़ी इलाकों में संयुक्त अभियानों को अंजाम देने के लिए भारतीय सेनाओं की ताकत को बढ़ाना है। अधिकारियों ने बताया कि यह अभ्यास अत्याधुनिक सैन्य प्रणालियों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक साथ लाता है तथा आधुनिक युद्ध प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करता है। सेना ने कहा, "यह अभ्यास भारत की पूर्वी सीमा पर एक मजबूत और अनुकूल रक्षा स्थिति बनाए रखने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, खासकर क्षेत्रीय परिस्थितियों में हो रहे बदलाव को ध्यान में रखते हुए। 'पूर्वी प्रहार' अभ्यास के माध्यम से भारतीय सशस्त्र बलों की क्षमता को मजबूत किया जा रहा है।" एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश के अग्रिम इलाकों में 10 से 18 नवंबर तक तीनों सेनाएं 'पूर्वी प्रहार' अभ्यास करेंगी। सेना ने कहा कि इस अभ्यास के दौरान उन्नत लड़ाकू विमान, अत्याधुनिक हल्के हेलीकॉप्टर रुद्र आदि के साथ-साथ एम 777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोपों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

‘अंतरिक्ष अभ्यास’

वहीं देश में पहली बार हुए ‘अंतरिक्ष अभ्यास’ की बात करें तो आपको बता दें कि अंतरिक्ष में भारत के राष्ट्रीय रणनीतिक उद्देश्यों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से अपनी तरह का पहला अभ्यास सोमवार को दिल्ली में शुरू हुआ था जिसमें प्रमुख रक्षाध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने जोर देकर कहा था कि अंतरिक्ष अब देश की रक्षा और सुरक्षा तंत्र का ‘महत्वपूर्ण संबल’ है। सीडीएस चौहान ने कहा कि अंतरिक्ष तेजी से भीड़भाड़ वाला, प्रतिस्पर्धात्मक और वाणिज्यिक होता जा रहा है। उन्होंने कहा था कि अंतरिक्ष में राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने के लिए सैन्य नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और शिक्षा जगत के साथ तालमेल बिठाकर नवाचार, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और अत्याधुनिक प्रणालियों के विकास को बढ़ावा दे। उद्घाटन सत्र के अपने संबोधन में सीडीएस ने अभ्यास के महत्व को रेखांकित किया। एक बयान में सीडीएस के हवाले से कहा गया, ‘‘अंतरिक्ष को कभी अंतिम सीमा माना जाता था, लेकिन अब यह भारत की रक्षा और सुरक्षा तंत्र का महत्वपूर्ण संबल है। अंतरिक्ष अन्वेषण और बढ़ती सैन्य क्षमताओं की अपनी समृद्ध विरासत के साथ, भारत अंतरिक्ष-आधारित क्षमताओं के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिहाज से अच्छी स्थिति में है।’’ 

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रक्षा मंत्रालय का बयान

इस बीच, अंतरिक्ष में भारत के राष्ट्रीय रणनीतिक उद्देश्यों को सुरक्षित करने के मकसद से आयोजित अपनी तरह के पहले तीन दिवसीय अभ्यास के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि यह अग्रणी आयोजन देश की अंतरिक्ष आधारित परिचालन क्षमताओं को मजबूत करने तथा अंतरिक्ष सुरक्षा के लिए तीनों सेनाओं के एकीकरण को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मंत्रालय ने कहा कि ‘‘अंतरिक्ष आधारित परिसंपत्तियों और सेवाओं पर बढ़ते खतरों से निपटने’’ के लिए ‘अंतरिक्ष अभ्यास-2024’ मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ की रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा 11-13 नवंबर तक आयोजित किया गया। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह कार्यक्रम ‘‘भारत की अंतरिक्ष आधारित कार्यात्मक क्षमताओं को विस्तार देने और अंतरिक्ष सुरक्षा दोनों के लिए तीनों सेनाओं के साझा परिचालन को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’’ मंत्रालय ने कहा कि ‘अंतरिक्ष अभ्यास 2024’ के माध्यम से सहभागिता के साथ क्षमता में सुधार, आपसी समझ को बढ़ावा देने और तीनों सेनाओं तथा रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी के बीच सामंजस्य बढ़ाने के लक्षित उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

'एक्सरसाइज ऑस्ट्राहिंद'

हम आपको यह भी बता दें कि हाल ही में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास पुणे में शुरू हुआ। अर्ध-रेगिस्तानी इलाकों में अर्ध-शहरी वातावरण में संयुक्त उप-पारंपरिक अभियानों के संचालन में अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाकर सहयोग को बढ़ावा देना इसका उद्देश्य था। 'एक्सरसाइज ऑस्ट्राहिंद' का तीसरा संस्करण दो चरणों में आयोजित किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "अभ्यास के दौरान जिन ड्रिल या पहलुओं का पूर्वाभ्यास किया गया उनमें आतंकवादी कार्रवाई का जवाब देते हुए एक निर्धारित क्षेत्र पर कब्जा करना; संयुक्त संचालन केंद्र की स्थापना; छापेमारी, तलाशी और नष्ट करने जैसे संयुक्त आतंकवाद-रोधी अभियान चलाना; हेलीपैड की सुरक्षा करना; ड्रोन का उपयोग और ड्रोन-रोधी उपाय तथा विशेष हेली-जनित अभियान आदि शामिल थे।" दोनों पक्ष 21 नवंबर तक संयुक्त अभ्यास के दौरान सामरिक संचालन की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में अपने सर्वोत्तम कार्यों को भी साझा करेंगे। हम आपको बता दें कि 'एक्सरसाइज ऑस्ट्राहिंद' एक वार्षिक कार्यक्रम है जो भारत और ऑस्ट्रेलिया में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। इसका पिछला संस्करण दिसंबर 2023 में ऑस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया था।

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