भारत-चीन सीमा विवाद: 15 दिसंबर के बाद हो सकती है कोर कमांडर स्तर की 14वीं वार्ता
भारत और चीन गतिरोध को हल करने के लिए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बातचीत कर रहे हैं और अब तक 13 राउंड हो चुके हैं। दोनों पक्ष संघर्ष के बिंदु हॉट स्प्रिंग्स के समाधान पर विचार कर रहे हैं जहां बीते वर्ष चीनी आक्रमकता के बाद हालात गंभीर हो गए थे।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे गतिरोध को हल करने के लिहाज से दिसंबर के मध्य में भारत और चीन के 14 वें दौर की कोर कमांडर वार्ता कर सकते हैं। सूत्रों ने कहा कि यह समय भारत के लिए उपयुक्त होगा क्योंकि सशस्त्र बल 16 दिसंबर तक यह 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार और भारत की जीत के स्वर्ण जयंती समारोह में व्यस्त रहेंगे। भारत और चीन गतिरोध को हल करने के लिए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बातचीत कर रहे हैं और अब तक 13 राउंड हो चुके हैं। दोनों पक्ष संघर्ष के बिंदु हॉट स्प्रिंग्स के समाधान पर विचार कर रहे हैं जहां बीते वर्ष चीनी आक्रमकता के बाद हालात गंभीर हो गए थे। सूत्रों ने कहा कि पैंगोंग झील और गोगरा की ऊंचाई पर स्थित संघर्ष बिंदुओं को सुलझा लिया गया है, लेकिन हॉट स्प्रिंग्स मसला अभी बाकी है।
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भारत डीबीओ क्षेत्र और सीएनएन जंक्शन क्षेत्र के समाधान की भी मांग कर रहा है। ये विरासत के मुद्दे माने जाते हैं। चीन की सेना की तरफ से शुरुआत में हैरान कर देने वाले कदम के बाद भारत ने चीनी आक्रमण का बहुत आक्रामक तरीके से जवाब दिया। दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़पें भी हुई हैं, जिनमें दोनों को ही नुकसान हुआ है। भारत क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है, लेकिन दुश्मन सैनिकों द्वारा किसी भी दुस्साहस को विफल करने के लिए उच्च स्तर की तैयारी भी बनाए रखी है। दोनों पक्षों ने भारी हथियारों के साथ बड़ी संख्या में जवानों को इलाके में तैनात किया है. बुनियादी ढांचे का निर्माण भी बहुत भारी रहा है।
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चीन ने एलएसी के बहुत करीब सैनिकों के लिए आवास बनाकर लद्दाख के विपरीत क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है और इसके आक्रामक बुनियादी ढांचे के निर्माण को देखते हुए ऐसा लगता है कि एक बड़ा गेमप्लान तैयार कर रहा है। भारत ने सैनिकों के लिए सड़कों और आवासों के मामले में भी तेजी से विकास किया है और सूत्रों का अनुमान है कि अगर बड़ी संख्या में सैनिकों की आवश्यकता होती है तो भारत अत्यधिक सर्दियों में क्षेत्र में 2 लाख से अधिक सैनिकों को आसानी से प्रबंधित कर सकता है।
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