पूर्वी लद्दाख विवाद के समाधान के लिये संवाद बनाये रखने पर सहमत भारत और चीन

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जैसा कि आपको पता है कि छह जून 2020 को भारत और चीन के कोर कमांडरों के बीच चूसूल-मोल्डो क्षेत्र में बैठक हुई थी। यह बैठक भारत-चीन सीमा से लगे क्षेत्रों में उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये दोनों पक्षों के बीच जारी राजनयिक और सैन्य संवाद जारी रखने के तहत हुई।

नयी दिल्ली। भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख विवाद के जल्द शांतिपूर्ण समाधान के लिये सैन्य और राजनयिक स्तर पर संवाद बनाये रखने पर सहमति जतायी है। विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि दोनों पक्षों ने स्थिति के जल्द शांतिपूर्ण समाधान के लिये सैन्य और राजनयिक बातचीत करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने की भी बात कही है जो दोनों देशों के नेताओं के व्यापक मार्गदर्शन में हो। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने भी बात कही है। उन्होंने हालांकि इस इस सवाल का जवाब नहीं दिया जिसमें पिछले कुछ दिनों में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग में संघर्ष के इलाकों से भारत और चीन दोनों देशों की सेनाओं के पीछे हटने की खबर के बारे में पूछा गया था। साल 2018 में चीन के वुहान शहर में पहली ऐतिहासिक अनौपचारिक शिखर वार्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत-चीन सीमा के क्षेत्र के सभी इलाकों में द्विपक्षीय रिश्तों के विकास के लिए शांति की अहमियत को रेखांकित किया था। 

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जैसा कि आपको पता है कि छह जून 2020 को भारत और चीन के कोर कमांडरों के बीच चूसूल-मोल्डो क्षेत्र में बैठक हुई थी। यह बैठक भारत-चीन सीमा से लगे क्षेत्रों में उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिये दोनों पक्षों के बीच जारी राजनयिक और सैन्य संवाद जारी रखने के तहत हुई। उन्होंने कहा कि बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि स्थिति का जल्द समाधान दोनों देशों के नेताओं के मार्गदर्शन को ध्यान में रखकर हो। प्रवक्ता ने कहा कि इसलिये दोनों पक्षों ने स्थिति के जल्द शांतिपूर्ण समाधान के लिये सैन्य और राजनयिक बातचीत करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘ यह भारत चीन द्विपक्षीय संबंधों के और विकास के लिये आवश्यक है। ’’ सैन्य सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों में बातचीत चलने के बावजूद, भारत ने लद्दाख, उत्तर सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे लगभग सभी संवेदनशील इलाकों में और सैनिकों की तैनाती की है जो चीन के समान सैन्य ताकत को बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है। 

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सूत्रों ने यह भी बताया कि दोनों पक्षों का पैंगोंग और पूर्वी लद्दाख के कई इलाकों में आमने सामने का टकराव जारी है। सैन्य सूत्रों ने मंगलवार को दावा किया था कि दोनों देशों की सेनाओं ने गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में गश्ती प्वांइट 14 और 15 पर पीछे हटना शुरू किया है और चीनी पक्ष दो क्षेत्रों में 1.5 किलोमीटर पीछे हटे हैं। भारत और चीनी सेना 5 मई से आमने सामने है। बहरहाल, इस पर अबतक आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। बुधवार को दोनों पक्षों ने क्षेत्र में तनाव को कम करने के लिए मेजर जनरल स्तर की वार्ता की है। सूत्रों ने बताया कि साढ़े चार घंटे लंबी चली बातचीत में भारतीय शिष्टमंडल ने पूर्ण यथास्थिति को बहाल करने और तत्काल प्रभाव से उन इलाकों से चीनी सैनिकों की वापसी पर जोर दिया, जिन्हें भारत एलएसी पर अपना मानता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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