तीन तलाक रोधी कानून बनने के बाद मुकदमों की संख्या में हुई बढ़ोत्तरी, इतने मामले हुए दर्ज
प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओम प्रकाश सिंह ने बताया ‘‘तीन तलाक रोधी कानून को और प्रभावी बनाने के लिये हम इसके आरोपियों की गिरफ्तारी की सम्भावनाएं तलाश रहे हैं। इसके लिये तमाम तकनीकी पहलुओं का परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पुलिस बहुत जल्द मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिये मुकदमे दर्ज होने से पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण (इम्पैक्ट एनालिसिस) करेगी।
लखनऊ। तीन तलाक रोधी कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश में तलाक से जुड़े मुकदमों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है। प्रदेश पुलिस के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने मंगलवार को भाषा को बताया कि गत एक अगस्त को तीन तलाक रोधी कानून बनने के बाद से सूबे में बड़ी संख्या में तीन तलाक पीड़ित महिलाएं अपने शौहरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करा रही हैं।उन्होंने बताया कि प्रदेश में 21 अगस्त तक तलाक-एृ-बिदत के 216 मामले दर्ज किये जा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा 26 मुकदमे मेरठ में, सहारनपुर में 17 और शामली में 10 मुकदमे दर्ज किये गये हैं। इन जिलों में मुस्लिमों की खासी आबादी है।
अधिकारी ने बताया कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी में तीन तलाक के 10 मुकदमे दर्ज किये गये हैं।उन्होंने बताया कि दर्ज मुकदमों के मुताबिक, तीन तलाक के ज्यादातर मामले दहेज, सम्पत्ति के विवाद और घरेलू हिंसा की वजह से हुए हैं।हालांकि 216 में से दो—तीन मामलों को छोड़कर किसी में भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। नियमत: सात साल से कम सजा के प्रावधान वाले मामलों में विशेष परिस्थितियों को छोड़कर गिरफ्तारी नहीं होती है।
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प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओम प्रकाश सिंह ने बताया ‘‘तीन तलाक रोधी कानून को और प्रभावी बनाने के लिये हम इसके आरोपियों की गिरफ्तारी की सम्भावनाएं तलाश रहे हैं। इसके लिये तमाम तकनीकी पहलुओं का परीक्षण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पुलिस बहुत जल्द मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिये मुकदमे दर्ज होने से पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण (इम्पैक्ट एनालिसिस) करेगी।
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