कारतूस बदलने का वक्त आ गया...25 तारीख बिहार की राजनीति के लिए रहने वाला है बहुत खास?
कभी नीतीश के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगाने वाले मोदी के चाणक्य अमित शाह की तरफ से प्रस्ताव आने पर विचार करने के दावे किए जाते हैं। नीतीश अचानक राज्यपाल से मिलने चले जाते हैं। कुल मिलाकर कहें तो लगातार ऐसी खबरें सामने आ रही है किबिहार की महागठबंधन की सरकार वेटिलेटर पर चली गई है और कभी भी नीतीश कुमार की तरफ से वेंटिलेटर हटा दी जाने की सूरत में इसके गिरने के दावे भी लोकल मीडिया चैनलों की तरफ से किया जा रहा है।
बिहार कूटनीति, राजनीति और अर्थशास्त्र के पंडित माने जाने वाले चाणक्य की धरती है। जिसने चंद्रगुप्त मौर्य के पाटलिपुत्र पर राज करने के तरीकों और राजनीति के रहस्यों से रूबरू करवाया। लेकिन वर्तमान दौर में बिहार की सियासी फिजां में रोज नए कयास लगाए जा रहे हैं। कभी नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन के संयोजक बनाए जाने की बात सामने आती है। अगले ही क्षण नीतीश के कांग्रेस से नाराज होने की खबरे सुर्खियां बनाती हैं। नौकरियों की बहार के दौर में विज्ञापन से डिप्टी सीएम तेजस्वी बाहर नजर आते हैं तो नीतीश इस पूरी योजना को सात निश्चय पार्ट-2 का हिस्सा बताते हैं। कभी नीतीश के लिए नो एंट्री का बोर्ड लगाने वाले मोदी के चाणक्य अमित शाह की तरफ से प्रस्ताव आने पर विचार करने के दावे किए जाते हैं। नीतीश अचानक राज्यपाल से मिलने चले जाते हैं। कुल मिलाकर कहें तो लगातार ऐसी खबरें सामने आ रही है किबिहार की महागठबंधन की सरकार वेटिलेटर पर चली गई है और कभी भी नीतीश कुमार की तरफ से वेंटिलेटर हटा दी जाने की सूरत में इसके गिरने के दावे भी लोकल मीडिया चैनलों की तरफ से किया जा रहा है।
इसे भी पढ़ें: बिहार में बड़ी सियासी हलचल, अटकलों के बीच अचानक ही राज्यपाल से मिलने पहुंचे सीएम नीतीश
पीएम मैटेरियल वाले नीतीश के साथ खेल हो गया?
23 जून 2023 को जब नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के अश्वमेघ यज्ञ वाले घोड़े को रोकने के लिए मीटिंग बुलाते हैं तो पहली नजर में इसे उनके फिर से पीएम मैटेरियल वाले ख्याब के जिंदा होने के दावे कई वर्ग की तरफ से किए जाते हैं। लेकिन बंगाल में एक दूसरे के खिलाफ रही ममता और वाम दलों को एक साथ लाने के अलावा कांग्रेस की दो सरकारों (दिल्ली, पंजाब) को हटा सत्ता में आने वाली आम आदमी पार्टी के बीच भी ऐसा गठजोड़ करा देते हैं जिसकी बानगी चंडीगढ़ मेयर चुनाव में दोंनों के गठबंधन कर चुनाव में जाने की बात से साफ हो जाता है। लेकिन इंडिया गठबंधन के विचार को जन्म देने वाले नीतीश कुमार ने ऐसा सोचा भी नहीं होगा कि उनके साथ ही बड़ा खेल हो जाएगा।
इसे भी पढ़ें: प्राण प्रतिष्ठा से पहले मिली Ram Mandir को बम से उड़ाने की धमकी, पुलिस ने किया आरोपी को गिरफ्तार
19 दिसंबर की बैठक के बाद बदल गया सबकुछ
संयोजक के नाम बुलाई गई बैठक में राहुल गांधी की तरफ से कहा गया कि ममता बनर्जी और अखिलेश यादव इस बैठक में मौजूद नहीं हैं। नीतीश को संयोजक बनाने को लेकर सहमति नहीं बन पा रही। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक राहुल के बयान पर भड़कते हुए ललन सिंह ने माइक अपनी तरफ करते हुए कहा कि हम मांगने नहीं गए थे। इसके बाद से ही सबकुछ बदलता नजर आया। नीतीश कुमार को समझ में आ रहा है कि इंडिया गठबंधन ने उनके साथ धोखा कर दिया। धोखे का बदला लेंगे। लालू यादव की तरफ से बैटिंग करने वाले नीतीश के खास ललन सिंह को साइड किया गया। फिर पिछले दो दिन में संगठन में बदलाव करते हुए सिंह के गुट के लोगों को किनारे किया गया। उन लोगों को ज्यादा महत्व दिया गया जो लोग प्रो बीजेपी स्टैंड के लिए जाने जाते हैं। इसके बाद कांग्रेस का डेलीगेशन नीतीश कुमार से जाकर मिलता है। सूत्र बताते हैं कि संजय झा ने कांग्रेस के डेलीगेशन को साफ शब्दों में कहा कि अगर आपको संयोजक नहीं बनाना था तो ऐसा मजाक क्यों किया गया। एक तरफ नाम भी प्रपोज किया जाता है। फिर प्रस्ताव भी रोक दिया जाता है। ममता बनर्जी का नाम लिया जाता है। बता दें कि ममता बनर्जी पहले ही सीटों को लेकर अपनी मंशा साफ कर चुकी हैं। वहीं अखिलेश यादव से उत्तर प्रदेश के अंदर अभी तक कांग्रेस का सीटों को लेकर समझौता नहीं हो पाया। इससे इतर बीते दिनों जयंत चौधरी की रालोद को सपा ने सात सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया। तो क्या कांग्रेस ने ये कहकर बहाना बनाया कि नीतीश कुमार को संयोजक बनाया जाए इसके लिए ममता बनर्जी, अखिलेश यादव से पूछना होगा। इसके साथ ही कांग्रेस ने संयोजक को लेकर तो नेताओं से पूछने जैसी बातें कह कर अपनी थ्योरी दे दी लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे को चेयरपर्सन बनाने का फैसला तो झट से हो गया। इंडिया गठबंधन की तरफ से किए गए छलावे के बाद से ही नीतीश परेशान चल रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: प्रशांत किशोर का संगठन 2025 बिहार विधानसभा चुनावों में 75 ईबीसी उम्मीदवारों का समर्थन करेगा
क्या बिहार की राजनीति में देखने को मिलेगा बड़ा बदलाव
ऐसे भी कयास लगाए जा रहे हैं कि 25 तारीख को बिहार की राजनीति में बहुत बड़ा खेल देखने को मिल सकता है। लगातार नीतीश कुमार इस तरह के संकेत भी दे रहे हैं। कांग्रेस से उनकी नाराजगी तल्ख होती जा रही है। चंद्रशेखर से लेकर जिन-जिन मंत्रियों का विभाग बदला गया सभी राजद कोटे के हैं। आपको याद होगा अमित शाह का एक निजी अखबार को दिया इंटरव्यू जिसमें उन्होंने किसी भी तरह के प्रस्ताव आने पर उस पर विचार करने की बात कही थी। इस बयान के कुछ ही घंटे बाद लालू यादव और तेजस्वी यादव नीतीश कुमार से उनके आवास पर जाकर मुलाकात करते हैं। जिसके बाद बाहर आकार नीतीश और लालू में से कोई भी मीडिया से बात नहीं करता। इससे इतर तेजस्वी ये जरूर बोलते नजर आते हैं कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक है। अगले ही दिन राजद कोटे के बड़बोले मंत्री जिन्होंने मंदिर को मानसिक गुलामी का प्रतीक बताया था और राम चरितमानस को लेकर भी लगातार बयान देते नजर आ रहे थे, उनसे शिक्षा जैसा मह्तवूर्ण विभाग लेकर गन्ना मंत्रालय थमा दिया गया।
नीतीश ही बॉस
जब राहुल गांधी ने पटना में नीतीश कुमार से मुलाकात की तो उसका ऑडियो भी सामने आया उसमें वो शिकायत करते नजर आ रहे थे कि कांग्रेस के कोटे से 2 और मंत्री बनाने हैं, कब इस पर मुहर लगेगी। नीतीश कुमार इस बात पर चेहरा बनाते नजर आए थे। अभी विभागों की अदला-बदली की गई इसमें कांग्रेस के लोगों को एडजेस्ट करने का मौका था। लेकिन ये बदलाव न करके कांग्रेस पार्टी को फिर से सिग्नल दे दिया गया कि आपकी चीजों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। नीतीश कुमार बिहार की सियासत के वो नेता हैं जिनके पास सियासी बंदूक तो खुद की होती है लेकिन विरोधी पर निशाना साधने के लिए चुनावी समर में कारतूस सहयोगी से लेते हैं। मतलब मौके की नजाकत को भांप कारतूस बदलने का विकल्प सदैव वो अपने हाथों में रखते हैं।
इसे भी पढ़ें: Prashant Kishor का संगठन 2025 बिहार विधानसभा चुनावों में 75 ईबीसी उम्मीदवारों का समर्थन करेगा
राज्यपाल के साथ बैठक में क्या हुई चर्चा?
संसदीय राज्य मंत्री के साथ मिलकर बजट की बात किए जाने की बात छलावा नजर आ रही है। बजट पर बात वित्त मंत्री, मुख्यमंत्री का है। ये भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार प्रक्रिया को जानना चाह रहे होंगे। अगर सरकार गिरा दिया जाता है तो फिर कितने दिन का वक्त मिलेगा। बीजेपी के साथ जाने पर कितने दिन का वक्त मिलेगा। हो सकता है वो राज्यपाल से मिलकर सभी दांव-पेंच को जांच-परख रहे होंगे। आपको याद होगा कि नीतीश कुमार ने साल 2020 में भी 24 घंटे पहले तक खबरों को अफवाह बताकर खारिज कर रहे थे। अमित शाह के फोन तक पर उन्होंने खबरों को गलत बताया था। अगले दिन सुबह महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बना ली।
अन्य न्यूज़