Madhya Pradesh में कैसे राहुल गांधी पर भारी पड़ी दिग्विजय-कमलनाथ की जोड़ी, राज्यसभा टिकट से जुड़ा है पूरा मामला

Digvijay Kamal
ANI
अंकित सिंह । Feb 16 2024 3:51PM

मध्य प्रदेश से राज्यसभा के टिकट के लिए राहुल गांधी वरिष्ठ नेता मीनाक्षी नटराजन की पैरवी कर रहे थे। लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ लगातार अशोक सिंह के पक्ष में खड़े रहे। इसके बाद मीनाक्षी नटराजन का टिकट काटकर अशोक सिंह को दिया गया।

राजनीति भी बेहद दिलचस्प होती है। यहां सामने कुछ और चलता है और परदे के पीछे कुछ और होता दिखाई दे जाता है। कुछ ऐसा ही मध्य प्रदेश में हुआ है। आश्चर्य की बात तो यह भी है कि मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेसी नेताओं दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की जोड़ी फिलहाल राहुल गांधी पर भारी पड़ चुकी है। पूरा का पूरा मामला राज्यसभा चुनाव को लेकर है। दरअसल, राहुल गांधी राज्यसभा चुनाव को लेकर मध्य प्रदेश से किसी और को टिकट देना चाहते थे। लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ की चाहत कोई और था। आखिरकार दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने जोर लगाया और अपने पसंदीदा उम्मीदवार को टिकट दिलाने में कामयाबी हासिल कर ली। यह कहीं ना कहीं यह राहुल गांधी के लिए असमंजस की स्थिति बन चुकी थी।

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टाइप्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक मध्य प्रदेश से राज्यसभा के टिकट के लिए राहुल गांधी वरिष्ठ नेता मीनाक्षी नटराजन की पैरवी कर रहे थे। लेकिन दिग्विजय सिंह और कमलनाथ लगातार अशोक सिंह के पक्ष में खड़े रहे। इसके बाद मीनाक्षी नटराजन का टिकट काटकर अशोक सिंह को दिया गया। खबर तो यह भी है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व भी राहुल गांधी की विश्वासपात्र और पूर्व सांसद मीनाक्षी नटराजन का समर्थन किया था। ऐसे में सवाल यह है कि फिर अशोक सिंह की एंट्री कहां से हो गई? दरअसल, अशोक सिंह ग्वालियर से लगातार चार लोकसभा चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं। हालांकि, उनके समर्थक नेताओं ने तर्क दिया कि हमेशा वे कड़े मुकाबले में हारे हैं। दूसरे नंबर पर ही रहे हैं। वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोधी माने जाते हैं। अशोक सिंह को राज्यसभा का टिकट दिए जाने के बाद ग्वालियर चंबल क्षेत्र में सिंधिया के प्रभाव को कम करने में कांग्रेस को मदद मिल सकती है।

हाल के विधानसभा चुनाव में ग्वालियर चंबल क्षेत्र में कांग्रेस को जबर्दस्त हार मिली थी। यही कारण है कि कांग्रेस वहां धाक जमाने की जुगत में है। इसके अलावा अशोक सिंह ओबीसी समाज से आते हैं। वह भी उनके पक्ष में चला गया। इसके बाद मीनाक्षी नटराजन के नाम की चर्चा बंद हो गई। अशोक सिंह को दिग्विजय सिंह का वफादार माना जाता है। लेकिन इस बार कमलनाथ ने भी उनका समर्थन कर दिया। कहा जा रहा है कि कमलनाथ खुद राज्यसभा जानना चाहते थे। लेकिन उन्हें केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी नहीं मिली। इसके बाद दिग्विजय सिंह ने कमलनाथ को अशोक सिंह का समर्थन करने  को कहा था और वह सहमत भी हो गए।

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कमलनाथ लगातार नटराजन का विरोध कर रहे थे। नटराजन ने पहले 2009 में मंदसौर लोकसभा सीट जीती थी। लेकिन उसके बाद उन्हें लगातार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। राहुल गांधी के कई प्रोजेक्ट पर मीनाक्षी नटराजन ने काम किया है। इस वजह से भी राहुल उन्हें राज्यसभा भेजना चाहते थे। इस घाट घटनाक्रम से यह भी पता चल गया कि भले ही मध्य प्रदेश में चुनावी हार मिलने के बाद कमलनाथ को पार्टी अध्यक्ष पद से दूर होना पड़ा। लेकिन अभी भी उनका प्रभाव है। केंद्रीय नेतृत्व अभी भी उन्हें नाराज नहीं करना चाहता। 

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