हैदराबाद में मिले ग्रेनेड पाकिस्तानी ड्रोन से गिराए गए थे, जांच में हुआ खुलासा

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हैदराबाद से पकड़े गए आतंकियों के पास से मिले हैंड ग्रेनेड को पाकिस्तान के ड्रोन से एयरड्रॉप किया गया था। खुफिया एजेंसियों को जांच में ये जानकारी हासिल हुई है।

हैदराबाद से गिरफ्तार किए गए तीन आतंकवादियों के पास से चार ग्रेनेड बरामद किए गए है। माना जा रहा है कि ये ग्रेनेड पाकिस्तानी ड्रोन की मदद से पंजाब बॉर्डर के पास कुछ महीनों पूर्व गिराए गए थे। ये जानकारी तेलंगाना पुलिस के शीर्ष पुलिस अधिकारी ने दी है।

सूत्रों के मुताबिक पुलिस आतंकवादियों के नेटवर्क को ट्रैक करने की कोशिश में जुटी हुई है। पुलिस को पता चला है कि लश्कर से संबंधित आतंकवादियों को अब्दुल जाहेद, मोहम्मद समीउद्दीन और माज़ हसन फारूक को एयरड्रॉप की गई खेप की तस्करी की थी। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी को इस मामले की जांच सौंपी जा सकती है।

पुलिस ने बातचीत में बताया कि आरोपियों को आतंकी खेप का एक हिस्सा मिला था। जांच पड़ताल में हमें उन लोगों के बारे में भी सुराग मिला है  जिन्होंने चीन में बने हथगोले आतंकी सरगना जाहेद को भेजे थे। जांच में ये भी पता चला कि इनके काम करने का तरीका हरियाणा, महाराष्ट्र ते नांदेड़ और तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में हुई तस्करी के समान है। बता दें इन तीनों जगहों पर इस वर्ष मई में खेप एयरड्रॉप होने के बाद जब्त की गई थी। खुफिया एजेंसी के अधिकारी के अनुसार हैदराबाद में भी जो ग्रेनेड मिले हैं वो पाकिस्तानी ड्रोन द्वारा ही एयरड्रॉप किए गए थे।

बता दें कि रविवार को रविवार को गिरफ्तार किए गए तीन आतंकियों में से जाहेब मुख्य है, क्योंकि ये अपने फरहतुल्ला गोरी, सिद्दीकी बिन उस्मान, अब्दुल मजीद के इशारे पर काम कर रहा था। जाहेद तीनों के साथ संपर्क में था। माना जा रहा है कि ये तीनों पाकिस्तान के रावलपिंडी में छिपे हुए हैं। इनके ही इशारे पर दशहरा पर सार्वजनिक स्थानों पर आतंक फैलाने के लिए ये साजिश रची गई थी।

अधिकारी ने संदेह जताते हुए कहा कि चीनी गोला बारूद भारत आने से पहले पाकिस्तान पहुंचा था। उन्होंने कहा कि हम आरोपियों को हिरासत में लेकर मॉड्यूल पर लेकर उनसे सख्त पूछताछ करेंगे। जांच टीम को पकड़े गए एक संदिग्ध के बिस्तर के नीचे से भी एक बॉक्स मिला है, जिसमें जब्त किए गए ग्रेनेड रखे गए थे।
तीनों आतंकियों के पास से 5.4 लाख रुपये की नकदी भी बरामद हुई है। हालांकि तीनों संदिग्धों ने कहा कि ये धन व्यापार में लगाने के लिए लोन के तौर पर लिया गया है, मगर इसके संबंध में किसी तरह के साक्ष्य तीनों पेश नहीं कर सकते है। तीनों के पास लोन देने वालों की विस्तृत जानकारी भी नहीं मिली है, ऐसे में बड़ी मात्रा में जब्त की गई ये राशि संदेह उत्पन्न करती है। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने आकाओं से कोड भाषा का इस्तेमाल कर बातचीत की है। खुफिया कर्मियों ने इन कोड को डिकोड करने की कोशिश शुरू कर दी है। आतंकियों ने ऐप आधारित कॉल्स की मदद से अपने आकाओं से बात की है ताकि वो सर्विलांस की पकड़ में ना आ सके।

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