देशों की सरकारों को मिट्टी के संकट से निपटने के लिये लंबी अवधि की नीति बनानी होगी : सदगुरू

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मिट्टी की बिगडती सेहत पर चिंता व्यक्त करते हुए ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरू ने शुक्रवार को कहा कि देशों को खाद्य संकट से निपटने के लिये दीर्घकालीन नीतियां बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि खाद्य संकट निकट है और स्थिति से निपटने के लिये सामूहिक प्रयासों की जरूरत है।

जयपुर। मिट्टी की बिगडती सेहत पर चिंता व्यक्त करते हुए ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सदगुरू ने शुक्रवार को कहा कि देशों को खाद्य संकट से निपटने के लिये दीर्घकालीन नीतियां बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि खाद्य संकट निकट है और स्थिति से निपटने के लिये सामूहिक प्रयासों की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया एक खाद्य संकट की दिशा में आगे बढ रही है। आने वाले वर्षो में कम खाद्य साम्रगी उत्पादित होगी। देशों की सरकारों को इस संकट से निपटने के लिए लंबी अवधि की नीति बनानी होगी।’’ उन्होंने कहा कि मिट्टी में औसतन तीन प्रतिशत जैविक सामग्री होनी चाहिए जबकि भारत में मिट्टी में औसत जैविक सामग्री केवल 0.68 प्रतिशत है।

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सदगुरू शुक्रवार को मिट्टी बचाओं अभियान को बढावा देने के लिये जयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने आये थे। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि नागरिकों को भी सरकार से नीतियां बनाने के लिये अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए।

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उन्होंने कहा कि लोग ईंधन की कीमत कम करने जैसी मांग उठाते है और उन्हें धरती के संकट को भी देखना चाहिए और इसके लिये आवाज भी उठानी चाहिए। सदगुरू बृहस्पतिवार को जयपुर पहुंचे थे। वह 100 दिनों में मोटर बाइक पर 27 देशो की 30,000 किलोमीटर की यात्रा पर है। यात्रा 21 मार्च को लंदन से शुरू हुई और उन्होंने 29 मई को भारत में प्रवेश किया। उन्होंने शाम को एक कार्यक्रम को भी संबोंधित किया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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