Karnataka Election: बजरंग बली से लेकर जातीय समीकरण तक... कर्नाटक चुनाव के रिजल्ट में अहम भूमिका निभाएंगे ये फैक्टर

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कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए आज यानी की 10 मई से मतदान शुरू हो गया है। माना जा रहा है कि चुनाव के नतीजों का असर राष्ट्रीय राजनीति पर भी देखने को मिलेगा। बता दें कि राज्य के 5 अहम फैक्टर चुनाव के रिजल्ट को तय करेंगे।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए आज यानी की 10 मई बुधवार को सुबह 7 बजे से मतदान प्रक्रिया शुरू हो गई है। बता दें कि राज्य की 224 विधानसभा सीटों पर  5.3 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं। चुनाव का रिजल्ट 13 मई को घोषित किया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि चुनाव के नतीजों का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर भी देखने को मिलेगा।

यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है। वहीं राहुल गांधी, प्रियंका और मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में कांग्रेस ने भी चुनाव प्रचार में अपना पूरा दमखम दिखाया है। साथ ही जेडीएस भी इस मुकाबले को त्रिकोणीय करने में लगी है। लेकिन बताया जा रहा है कि राज्य के यह 5 फैक्टर चुनाव के नतीजों को प्रभावित करेंगे। 

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एंटी इनकंबेसी फैक्टर

इस चुनाव में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती एंटी इनकंबेंसी की है। कांग्रेस पार्टी ने जहां इस फैक्टर में 40 फीसदी कमीशन का आरोप लगाकर अपना हमला तेज कर दिया था। जिसके बाद इस मुद्दे को काउंटर करने के लिए चुनाव के आखिरी दौर में पीएम मोदी ने न सिर्फ पूरे चुनाव को अपने नाम पर केंद्रित कर दिया, बल्कि इस चुनाव को स्थानीय से राष्ट्रीय बनाने में पूरी ताकत झोंक दी। लेकिन कांग्रेस ने भी इसका लाभ लेने के लिए चुनाव को स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित कर दिया। कांग्रेस ने चुनाव को इस तरह से स्थानीय रखा कि कई चुनावी पोस्टरों में राज्य के स्थानीय नेता सिद्दारमैया और डी के शिवकुमार ही थे।

​बजरंगबली का फैक्टर​

एक ओर जहां राज्य में भाजपा एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का सामना कर रही थी। लेकिन तब तक कांग्रेस पार्टी ने खुद आगे आकर बीजेपी को एक नया मुद्दा दे दिया। कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में बजरंग दल की तुलना पीएफआई से कर उस पर बैन लगाने का वादा किया। जो संगठन समाज में नफरत फैलाने का काम करती है। बीजेपी ने इस मुद्दे को लपकने में जरा भी देरी नहीं की और आखिरी के 8 दिनों तक इसी मुद्दे पर अपना पूरा फोकस बनाए रखा। वहीं पीएम मोदी भी अपनी रैलियों की शुरूआत बजरंग बली के नारे से करते दिखे। हालांकि कांग्रेस ने अपनी तरफ से इस मुद्दे को डैमेज कंट्रोल करने का पूरा प्रयास किया। लेकिन इसका जमीनी असर कितना और कैसा है। यह आज वोटर तय करेंगे।

​अहम होगा इलेक्शन मैनेजमेंट​

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में चुनावी मैनेजमेंट का भी अहम माना जा रहा है। राज्य में तीनों राजनैतिक दलों के पास मजबूत काडर है। लेकिन यहां पर वोटिंग का ट्रेंड काफी अनियमित होता रहा है। बेंगलुरू जैसे शहर में 50 फीसदी से भी कम वोटिंग होती है। तो गांवों में मतदान का आंकड़ा 70 फीसदी तक चला जाता है। वहीं इस बार के चुनाव में मतदान प्रतिशत बड़ी भूमिका निभा सकता है। हालांकि सभी दलों ने अपने-अपने वोटरों को बूथ तक ले जाने की पूरी तैयारी की है। 10 मई यानी की आज इलेक्शन मैनेजमेंट जितना अधिक सफल होगा, 13 मई को उतने बेहतर नतीजे आने की संभावना है।

​देवेगौड़ा फैक्टर​ करेगा कमाल

देवेगौड़ा की पार्टी इस चुनाव में ट्रंप कार्ड मानी जा रही है। विधानसभा भंग होगी या कोई दल स्पष्ट बहुमत पाएगा। यह देवेगौड़ा की पार्टी यानी की जेडीएस पर काफी हद तक निर्भर करता है। यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों ने जेडीएस के मजबूत माने जाने वाली 60 सीटों पर एक्सट्रा मेहनत की है। बता दें कि जेडीएस की मजबूत सीटों पर पीएम मोदी, अमित शाह, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी ने सबसे अधिक रैलियां की हैं। ऐसे यह बड़ा सवाल है कि क्या जेडीएस पार्टी अपने गढ़ को बचाए रखने में कामयाब होगी।

कास्ट फैक्टर​ निभाएंगे अहम भूमिका

इस बार कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कास्ट फैक्टर अहम में नजर आएंगे। जो भी दल अपने कोर मतदाता को वोटिंग बूथ तक पहुंचाने में सफल होगा, वही इस चुनाव के अंतिम विजेता के रूप में उभरकर सामने आएगा। एक ओर जहां कांग्रेस बीजेपी के कोर वोटरों यानी की लिंगायत समुदाय में सेंध लगाने के प्रयास में दिखी तो वहीं भाजपा ओबीसी समुदाय को साधती हुए नजर आई। ओबीसी कांग्रेस पार्टी का मजबूत वोटबैंक है। वहीं कांग्रेस जेडीएस के वोक्कालिगा वोटरों में भी सेंध लगाने का प्रयास कर रही थी। 

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