मध्यप्रदेश में विधान परिषद के गठन पर मंथन, विपक्ष ने किया इसका विरोध
कमलनथ सरकार की कोशिश है कि विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इसका संकल्प पेश हो जाए। इसके बाद गठन प्रस्ताव को केंद्र सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। दरअसल, इसके गठन में सबसे बड़ा पेच खर्च को लेकर है। संसदीय मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सीधे तौर पर खर्च 30 से 40 करोड़ रुपए तक होगा। अन्य खर्च अलग हैं। इसलिए संकल्प पेश होने से पहले सभी पक्षों का अध्ययन किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार विधानसभा चुनाव में जनता से किए हुए वादों को पूरा करने में लगी है। कमलनाथ सरकार अब अपने वादे के अनुसार मध्यप्रदेश में विधान परिषद गठन के लिए प्रक्रिया प्रारंभ कर रही है। मंगलवार को विधान परिषद के गठन को लेकर मुख्य सचिव एस.आर.मोहंती ने अधिकारीयों के साथ बैठक की। इस बैठक में विधि और संसदीय कार्य विभाग विधान परिषद के गठन को लेकर प्रक्रिया का अध्यय कर कानूनी पक्ष देखेगें। जिसके बाद संबंधित विभाग अपना अभिमत सरकार को देगें। जिसके बाद प्रक्रिया शुरू की जाएगी। बैठक में चर्चा के दौरान विधान परिषद के गठन की कार्यवाही में कितना वक्त लगेगा, दूसरे राज्यों में क्या व्यवस्था है आदि के संबंध में जानकारी जुटाने पर विचार हुआ। साथ ही परिषद गठन के लिए मप्र में वर्ष 1956 और 2019 की व्यवस्था पर अध्ययन तथा मध्यप्रदेश से अगल हुए राज्य छत्तीसगढ़ के बाद वर्तमान में क्या प्रावधान लागू होंगे इस पर भी विचार किया गया।
इसे भी पढ़ें: बिना सिंधिया के सहयोग के उपचुनाव जीती कांग्रेस, कमलनाथ सरकार हुई मजबूत
इसे भी पढ़ें: देश की जनता में भाजपा को लेकर निराशा की लहर है: कमलनाथ
अन्य न्यूज़