‘ग्लोबल साउथ’ लोकतांत्रिक, विविध पुनः वैश्वीकरण चाहता है : S Jaishankar

s jaishankar
प्रतिरूप फोटो
ANI Image
रितिका कमठान । Aug 27 2023 3:30PM

पहले से अधिक विविध और अधिक लोकतांत्रिक’’ पुनः वैश्वीकरण की जोरदार वकालत की है। ग्लोबल साउथ अब कुछ आपूर्तिकर्ताओं की दया पर निर्भर नहीं रह सकता है। आज दुनिया देश के प्रयोगों, विस्तार, तैनाती, इनोवेशन और सफलता को एक साथ देख रही है।

ग्लोबल साउथ के मुद्दों को उठाने की बात आती है तो भारत ने हमेशा इसके लिए आगे बढ़कर मुद्दा उठाया है और इसे लेकर आवाज बुलंद की है। ये बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दी है। रविवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित बी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बात कही है।

उन्होंने ‘‘पहले से अधिक विविध और अधिक लोकतांत्रिक’’ पुनः वैश्वीकरण की जोरदार वकालत की है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ अब कुछ आपूर्तिकर्ताओं की दया पर निर्भर नहीं रह सकता है। इस संबंध में एस जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया देश के प्रयोगों, विस्तार, तैनाती, इनोवेशन और सफलता को एक साथ देख रही है। उन्होंने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ उत्पादक बनने के बजाय काफी हद तक केवल उपभोक्ता बनकर रह गया है और वह आर्थिक बदलाव का पूरा लाभ नहीं उठा सका।

कोरोना वायरस संक्रमण काल को याद करते हुए कहा कि भारत ने इस दौरान 100 से अधिक देशों में मेड इन इंडिया टीको को एक्सपोर्ट किया था। इस दौरान म्यांमार और तुक्री में संकट के समय में भी भारत ने ही सबसे पहले प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा कि ‘‘ग्लोबल साउथ को आर्थिक परिवर्तन का पूरा लाभ नहीं मिल रहा और वे अपारदर्शी पहलों के कारण अव्यवहार्य ऋणों से आमतौर पर घिर जाते हैं। यह संकट धीरे-धीरे सामने आ रहा था, लेकिन ऋण, कोविड-19 और संघर्ष के कई झटकों ने इसकी गति को तेज कर दिया।’’ 

उन्होंने ‘उभरते विश्व 2.0 में ग्लोबल साउथ की भूमिका’ (रोल ऑफ ग्लोबल साउथ इन इमर्जिंग वर्ल्ड 2.0) पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘इसके परिणामस्वरूप अब पहले से अधिक विविध, अधिक लोकतांत्रित पुन: वैश्वीकरण को हासिल करने की कोशिश की जा रही है, जहां केवल उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि उत्पादन के कई केंद्र होंगे। ऐेसे में कारोबार अहम अंतर ला सकता है।’’ जयशंकर ने कहा कि जी20 का मुख्य उद्देश्य आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देना है और अगर ऋण एवं वित्त, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्रवाई, खाद्य सुरक्षा और महिला नीत विकास जैसे क्षेत्रों में ‘ग्लोबल साउथ’ की महत्वपूर्ण चिंताओं को दूर नहीं किया गया, तो इस दिशा में आगे बढ़ना संभव नहीं है।  

 उन्होंने कहा, ‘‘हम अब उन कुछ आपूर्तिकर्ताओं की दया पर निर्भर नहीं रह सकते, जिनकी व्यवहार्यता अप्रत्याशित झटकों के कारण सवालों में घिर सकती है।  जयशंकर ने कहा कि अधिक लचीली और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला विकसित करने की बाध्यता वास्तव में बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्षेत्र विश्वास एवं पारदर्शिता संबंधी चिंताओं से घिरा है और ‘‘पिछले कुछ वर्षों की अस्थिरता ने हमें रणनीतिक स्वायत्तता का महत्व समझाया है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि अधिक न्यायसंगत, समान और सहभागी वैश्विक व्यवस्था तभी स्थापित होगी, जब ‘ग्लोबल साउथ’ के अनुरूप निवेश, व्यापार और प्रौद्योगिकी निर्णय लिए जाएंगे। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़